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Jharkhand Election 2019: कभी तानों में कटी कभी तारीफों में...शुरू से इनके रहे बगावती तेवर...नाम है सरयू राय

Jharkhand Assembly Election 2019 भाजपा के बागी मंत्री सरयू राय के तेवर को लेकर पार्टी धर्मसंकट में है। उनके निष्कासन पर अब तक फैसला नहीं हुआ है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 08:32 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 08:27 AM (IST)
Jharkhand Election 2019: कभी तानों में कटी कभी तारीफों में...शुरू से इनके रहे बगावती तेवर...नाम है सरयू राय
Jharkhand Election 2019: कभी तानों में कटी कभी तारीफों में...शुरू से इनके रहे बगावती तेवर...नाम है सरयू राय

रांची, राज्य ब्यूरो। भाजपा के स्तर से दरकिनार किए गए सरयू राय के बगावती तेवर अब राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोर रहा है। वजह भी स्पष्ट है, राय ने मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ सोमवार को नामांकन दाखिल कर खुली बगावत का एलान किया। मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव में उतरकर उन्होंने भाजपा को धर्मसंकट में डाल दिया है। पार्टी का एक खेमा उनके टिकट कटने की वजहों की भी दबी जुबाने से चर्चा कर रहा है। एक शेर भी उछाला जा रहा है कि 'कुछ तो मजबूरियां रहीं होंगी, यूं ही कोई बेवफा नहीं होता।

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सरयू राय ने अपने नामांकन के साथ ही मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ कड़ा मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने रघुवर को सिर्फ सरकार ही नहीं, पार्टी का भी सबसे शक्तिशाली व्यक्ति करार दिया है। राय सरकार के भ्रष्टाचार से जुड़े मामले भी उठाने की बात कर रहे हैं। लेकिन, राय के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाए जाने के स्वर से ही एक सवाल भी उठ रहा है। आखिर जब उन्हें सरकार के अहम पदों पर बैठे लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार की जानकारी लग गई थी, तो वे खुद उस सरकार का हिस्सा क्यों बने रहे? अपनी छवि के अनुरूप तत्काल इस्तीफा देकर सरकार के खिलाफ मोर्चा क्यों नहीं खोला? कैबिनेट की बैठकों का लगातार क्यों बहिष्कार किया?

सरयू राय ने मंत्री पद और विधानसभा की सदस्यता से तो इस्तीफा दे दिया है, लेकिन पार्टी से नहीं। मुश्किल की इस घड़ी में भाजपा को समझ नहीं आ रहा है कि उनके खिलाफ क्या अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। पार्टी की यह व्यवस्था है कि कोई भी कार्यकर्ता यदि भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव मेें उतरता है, तो उसे छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया जाता है। माना जा रहा था कि राय के नामांकन दाखिल करने के साथ ही पार्टी के स्तर से निष्कासन का फरमान जारी कर दिया जाएगा, लेकिन देर शाम तक इस बाबत कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका।

लगाए घोटालों के आरोप, नीतिगत फैसलों का भी विरोध

सरयू राय ने सरकार की कई नीतिगत फैसलों का विरोध किया। सरकार ने जब शराब दुकानों का नियंत्रण अपने हाथ में लिया, तो सरयू राय ने खुलेआम विरोध किया। उन्होंने शराबबंदी की मांग तक कर डाली। वे कई विभागों में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर हुए। झारक्राफ्ट में कंबल घोटाले का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री रघुवर दास समेत कई वरीय अधिकारी उनके निशाने पर रहे।


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