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Haryana Election 2019: दिग्‍गजों की अग्निपरीक्षा का समय, हार-जीत के गणित में जुटे नेता

Haryana Election 2019 में अब दिग्‍गजों की अग्निपरीक्षा का समय है। कल हाेनेवाले मतदान से पहले सभी दलों के नेता जीत और हार का गणित निकालने में जुटे हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 11:12 AM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 07:00 AM (IST)
Haryana Election 2019:  दिग्‍गजों की अग्निपरीक्षा का समय, हार-जीत के गणित में जुटे नेता
Haryana Election 2019: दिग्‍गजों की अग्निपरीक्षा का समय, हार-जीत के गणित में जुटे नेता

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। Haryana Assembly Election 2019 में इस बार दिग्‍गज नेताओं की अग्निपरीक्षा है। सभी दलों के नेता मतदान से एक दिन पहले अपने हिसाब से हार और जीत के गणित बैठाने में  लगे हैं। राज्य निर्वाचन विभाग का जोर इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ाने पर है तो राजनीतिक दलों का फोकस पिछली बार से अधिक विधानसभा सीटें जीतने पर। 14वीं विधानसभा के लिए आज चुनावी परीक्षा हो रही है। इस परीक्षा में कई बड़े दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ-साथ सभी 10 सांसदों के लिए यह चुनाव उनके अपने संसदीय क्षेत्रों में पकड़ की कसौटी पर परखा जाने वाला है। विपक्षी नेताओं के लिए भी यह चुनाव बहुत महत्‍वूपूर्ण है।

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हरियाणा के रण में खुद को साबित करना दिग्गजों के लिए बड़ी चुनौती

हरियाणा में इस बार के चुनावी रण में करीब दो दर्जन दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। भाजपा और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस बार 75 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य तय कर रखा है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 47 विधानसभा सीटें जीती थीं। जींद उपचुनाव भी भाजपा ने जीता और लोकसभा में सभी 10सीटें जीतकर मोदी व शाह की झोली में डाली।

हरियाणा के चौथे लाल के रूप में स्थापित होते जा रहे मनोहर लाल के सामने अब खुद को साबित करने की चुनौती है। हालांकि उनकी इस परीक्षा में मोदी व शाह की जोड़ी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी नजर आ रही है, लेकिन चुनाव नतीजे हरियाणा की मनोहर सरकार के प्रति लोगों का मिजाज तय करेंगे। इस चुनाव में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के अलावा उनकी कैबिनेट के 10 मंत्री ताल ठोंक रहे हैं। इन सभी मंत्रियों के सामने चुनाव में अच्छे नतीजे देने की बड़ी चुनौती है।

चुनावी रण में तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सभी दस सांसदों की भी होगी परीक्षा

कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की प्रतिष्ठा दाव पर है। हुड्डा और उनके समर्थक विधायकों के जबरदस्त दबाव के चलते कांग्रेस हाईकमान अशोक तंवर को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाने को तैयार हुआ। तब कुमारी सैलजा को नई अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। हुड्डा व सैलजा के बीच इस चुनाव में अच्छी ट्यूनिंग नजर आई। सैलजा ने कूटनीतिक फैसला लेते हुए खुद विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन हुड्डा ने अपनी परंपरागत सीट गढ़ी-सांपला-किलोई से ताल ठोंकी है। हुड्डा हालांकि मानते हैं कि तंवर को हटाने का फैसला देर से हुआ, लेकिन इसके बावजूद हुड्डा समर्थकों के हौसले परवान चढ़ रहे हैं।

भाजपा, कांग्रेस, जजपा और इनेलो के दिग्गजों की प्रतिष्ठा से जुड़ा चुनाव

हुड्डा के साथ-साथ कांग्रेस में पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला, किरण चौधरी, कैप्टन अजय सिंह यादव और कुलदीप बिश्‍नोई की प्रतिष्ठा दाव पर है। सुरजेवाला कैथल, किरण तोशाम, कैप्टन अजय के बेटे चिरंजीव राव रेवाड़ी तथा कुलदीप आदमपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। इस बार के चुनाव नतीजे कांग्रेस में पूर्व सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का भी राजनीतिक भविष्य तय करने वाले हैं। हुड्डा अब हरियाणा की अपनी राजनीतिक विरासत पूरी तरह से बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को सौंपना चाहते हैं।

जननायक जनता पार्टी का गठन  हुए अभी एक साल भी नहीं हुआ, लेकिन इतने मामूली समय में दुष्यंत सिंह चौटाला ने ऊंची उड़ान भरी है। दुष्यंत चौटाला, उनकी माता नैना चौटाला व भाई दिग्विजय सिंह चौटाला तीनों ही अपनी जननायक जनता पार्टी के खुद स्टार प्रचारक रहे हैं।

जजपा ने किसी स्टार को बाहर से नहीं बुलवाया और खुद मोर्चे पर लड़ते रहे। ताऊ देवीलाल के परिवार में हुए राजनीतिक विघटन व नई पार्टी के गठन के बाद दुष्यंत चौटाला की जजपा का यह पहला चुनाव है। दुष्यंत की पार्टी के चुनाव पर सभी राजनीतिक दलों की निगाह टिकी हुई है। इस पार्टी को प्रदेश में उड़ान भर रहे दल के रूप में देखा जा रहा है। दुष्यंत खुद उचाना व नैना चौटाला बाढड़ा से चुनाव लड़ रहे हैं।

हरियाणा में कई बार सत्ता में रही इनेलो के लिए भी यह चुनाव किसी परीक्षा से कम नहीं है। इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला के राजनीतिक उत्तराधिकारी अभय सिंह चौटाला के सामने पार्टी को संकट से उबारने की बड़ी चुनौती है। चौटाला खुद सिरसा जिले की ऐलनाबाद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इनेलो को हालांकि शिरोमणि अकाली दल (बादल) का समर्थन हासिल है, लेकिन अभय ने चुनाव से तीन दिन पहले तक जिस तरह से कई सीटों पर नए राजनीतिक समीकरण पैदा किए हैं, उससे उन्हें ऐलनाबाद में फायदा पहुंचने की संभावना है।

लोकसभा चुनाव में कुछ इस तरह का रहा भाजपा सांसदों का रिपोर्ट कार्ड

लोकसभा चुनाव में हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से 79 पर भाजपा ने बढ़त दर्ज की थी। कुल 10 लोकसभा सीटों में से छह में भाजपा ने सभी 54 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त ली थी। एक संसदीय क्षेत्र में औसततन नौ विधानसभा क्षेत्र हैं।

छह सांसदों ने सभी नौ-नौ विधानसभा क्षेत्रों में ली थी बढ़त

- लोकसभा चुनाव में करनाल में सांसद संजय भाटिया, अंबाला में केंद्रीय राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया, कुरुक्षेत्र में नायब सिंह सैनी, सिरसा में सुनीत दुग्गल, भिवानी-महेंद्रगढ़ में धर्मबीर और फरीदाबाद में केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर अपने-अपने संसदीय क्षेत्रों में पडऩे वाले सभी नौ-नौ विधानसभा क्षेत्रों में  बढ़त दर्ज कराने में सफल रहे थे।

नारनौंद में कैप्टन अभिमन्‍यु के लिए किलेबंदी बृजेंद्र के लिए जरूरी

- हिसार लोकसभा क्षेत्र में भाजपा सांसद बृजेंद्र सिंह हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के विधानसभा क्षेत्र नारनौंद में जजपा के दुष्यंत चौटाला से तीन हजार वोट से पिछड़ गए थे। अब यहां बृजेंद्र सिंह और भाजपा दोनों के लिए चुनौती है।

रोहतक में अरविंद शर्मा को टकराना होगा हुड्डा से

- लोकसभा चुनाव में रोहतक में सांसद डा. अरविंद शर्मा कृषि मंत्री ओपी धनखड़ के विधानसभा क्षेत्र बादली में कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा से करीब 14 हजार वोटों से पीछे रह गए थे। रोहतक संसदीय क्षेत्र की ही महम, बेरी, झच्जर और गढ़ी-सांपला-किलोई विधानसभा सीटों पर डा. अरविंद शर्मा पिछड़ गए थे। यह क्षेत्र हुड्डा का है। इन हलकों में भाजपा की जीत डा. अरविंद शर्मा के लिए बड़ी चुनौती है।

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मेवात में राव इंद्रजीत की कड़ी परीक्षा

- गुरुग्राम संसदीय क्षेत्र में केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत नूंह, पुन्हाना और फिरोजपुर झिरका में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कैप्टन अजय यादव से पिछड़ गए थे। लोकसभा चुनाव के बाद इन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले सभी विधायक भाजपा में आ गए। अब इन हलकों में भाजपा की जीत से राव इंद्रजीत का कद तय होगा।


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सोनीपत में खरखौदा व बरौदा की चिंता

- सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में भाजपा सांसद रमेश कौशिक खरखौदा और बरोदा हलकों में तत्कालीन लोकसभा उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से पिछड़ गए थे। अब खरखौदा व बरोदा हलकों में भाजपा को जीत दिलाने के लिए रमेश कौशिक को तगड़ा जोर लगाना पड़ सकता है।

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