Move to Jagran APP

Haryana Assembly election 2019: नेताओं का हाल, पा लेने की बेचैनी और खो देने का डर

Haryana Assembly election 2019 में नेताओं की हालत और चिंता मतदान की तारीख आने के साथ बढ़ गई है। उनको पा लेने बेचैनी है तो खो देने का डर भी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 10:05 AM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 06:48 AM (IST)
Haryana Assembly election 2019: नेताओं का हाल, पा लेने की बेचैनी और खो देने का डर
Haryana Assembly election 2019: नेताओं का हाल, पा लेने की बेचैनी और खो देने का डर

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। Haryana assembly Election 2019 में मतदान का दिन आने के साथ ही नेताओं की कश्‍मकश बढ़ती जा रही है। नेताओं में पा लेने की बेचैनी और खो देने का डर, उनको चैन नहीं लेने दे रहा।  किसी को चुनाव जीतने की बेचैनी है तो किसी को हार जाने का डर सता रहा है। विश्वास, बेचैनी, चिंता और डर के बीच गुत्थमगुत्था राजनीतिक दलों के सामने इस बार खुद को साबित करने की बड़ी चुनौती है। हरियाणा में 21 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव प्रचार शनिवार को थम गया।

loksabha election banner

बेचैनी, चिंता, विश्वास और डर के बीच गुत्थमगुत्था राजनीतिक दलों के सामने खुद को साबित करने की चुनौती

हरियाणा में 2014 के चुनाव में पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली भाजपा को 2019 के चुनाव में कड़ी परीक्षा के दौर से गुजरना पड़ृ रहा है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी 10 सीटें जीती और 90 में से 79 विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल की। इस बढ़त तो बरकरार रखने की मंशा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने टीम मनोहर को 75 से अधिक विधानसभा सीटें जीतने का लक्ष्य दिया है।

इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए खुद मोदी और शाह हरियाणा में ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं। भाजपा ने एक रणनीति के तहत आखिरी समय में मोदी व शाह की रैलियां बढ़ा दीं, जिनके जरिये पार्टी ने विपक्ष के लिए राजनीतिक चक्रव्यूह तैयार किया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद हर रोज आधा दर्जन से अधिक बड़ी जनसभाएं कर अपने शीर्ष नेतृत्व द्वारा दिए गए टारगेट को अचीव (हासिल) करने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देने के लिए पूरा जोर लगा दिया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद करनाल से चुनाव मैदान में हैं।

2005 और 2009 में लगातार दस साल तक सूबे के मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सामने भाजपा का विजय रथ रोकने की सबसे बड़ी चुनौती है। यह चुनाव हुड्डा की राजनीतिक क्षमता को साबित करने वाला होगा। हुड्डा और कुमारी सैलजा की जोड़ी ने इस बार अपनी पसंद से टिकटों का वितरण किया है। अशोक तंवर की टिकटों में जरा भी नहीं चली।

इसका नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस को अलविदा कहते हुए तंवर ने घर के न घाट के वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए कभी भाजपा के प्रति प्रेम दिखाया तो कभी दुष्यंत-अभय और गोपाल कांडा के प्रति अपने राजनीतिक प्रेम का खुला प्रदर्शन किया। तंवर के इस अंदाज को प्रदेश में कोई खास भाव नहीं मिला, लेकिन हुड्डा का कांटा जरूर निकल गया। हुड्डा लंबे समय से तंवर को किनारे करने की जुगत में लगे थे। इस कांटे के निकलने के बाद हुड्डा हरियाणा के चुनावी रण में फ्री-हेंड होकर खेले। अब राजनीति की पिच पर हुड्डा का नंबर गेम क्या होगा, इस पर सबकी निगाह टिकी हुई है। हुड्डा अपनी परंपरागत सीट गढ़ी सांपला किलोई से ताल ठोंक रहे हैं।

ताऊ देवीलाल के परिवार की चर्चा के बिना हरियाणा की राजनीति अधूरी है। ताऊ देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल की वजह से ही हरियाणा को लालों का प्रदेश कहा जाता है। अब मनोहर लाल के रूप में इसमें चौथा लाल जुड़ गया है। इसे राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं कहा जाए या फिर पारिवारिक विघटन, 2019 के जिस चुनाव में इस परिवार को एकजुट होकर खड़ा रहने की जरूरत थी, वह पूरी तरह से बंट गया है। इसका सीधा फायदा भाजपा उठाने की फिराक में रही।

पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली इनेलो में बिखराव के बाद जननायक जनता पार्टी का गठन हुआ। एक साल से भी कम अंतराल में जजपा संयोजक के नाते दुष्यंत चौटाला ने प्रदेश में अपनी मजबूत राजनीतिक पकड़ का अहसास कराया। भाजपा व कांग्रेस के असंतुष्टों को गले लगाते हुए दुष्यंत ने इन दलों को उनके अपने हथियार से मात देने की पूरी कोशिश की। दुष्यंत चौटाला खुद उचाना से और उनकी माता नैना चौटाला बाढड़ा से चुनावी रण में हैं।

अब बात करते हैं इनेलो की, जिसकी बागडोर ओमप्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला के हाथों में है। अभय चौटाला कभी हार नहीं मानते। उन्होंने राजनीति के तमाम उतार चढ़ाव बेहद करीब से देखे हैं। सिरसा, पंचकूला, फतेहाबाद व मेवात की कई सीटों पर इनेलो के फाइट में होने का दम भरते हुए चौटाला को किसी बड़े राजनीतिक उलटफेर की उम्मीद है। उन्हें अपने दादा ताऊ देवीलाल की राजनीतिक विरासत और पिता ओमप्रकाश चौटाला के समर्थन का आसरा है। चौटाला ऐलनाबाद से चुनावी रण में हैं। इस इलाके में जब कभी ताऊ देवीलाल ने चुनाव लड़ा था, तब उनके खिलाफ प्रचार करने इंदिरा गांधी आई थी। आज अभय के खिलाफ मोदी रैली कर रहे हैं।

मायावती, राजकुमार सैनी, जयहिंद, कांडा और योगेंद्र यादव के चुनाव लडऩे के मायने 

हरियाणा के चुनावी रण में पूर्व सांसद राजकुमार सैनी के नेतृत्व वाली लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी, योगेंद्र यादव के नेतृत्व वाली स्वराज इंडिया, पंडित नवीन जयहिंद के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी, गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने भी अपने उम्मीदवार उतारे हैैं। मायावती, राजकुमार सैनी, योगेंद्र यादव, गोपाल कांडा और नवीन जयहिंद के लगातार फील्ड में सक्रिय रहने का मतलब साफ है कि वे किसी भी दल का गणित बनाने-बिगाडऩे में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले हैं। यह पार्टियां भले ही जीतने की मंशा से रण में नहीं हैं, लेकिन किसी का भी गणित बिगाड़ सकती हैं।

कुछ सीटों पर पार्टियों का नहीं खास प्रभाव, उम्मीदवारों के नाम से लड़ा जा रहा चुनाव

हरियाणा के चुनावी रण में करीब दो दर्जन सीटें ऐसी हैं, जहां पार्टियां गौण हैं और उम्मीदवार अहम हैं। यानी उनका चुनाव खुद की पहचान और राजनीतिक वजूद के आधार पर लड़ा जा रहा है। किसी सीट पर भाजपा उम्मीदवार भारी हैं तो किसी पर कांग्रेस व जननायक जनता पार्टी के प्रत्याशी टक्कर दे रहे हैं। इस बार के रण में मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उनकी कैबिनेट के 10 मंत्री चुनावी रण में हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला टोहाना से चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रणदीप सुरजेवाला, कुलदीप बिश्नोई, किरण चौधरी, अशोक अरोड़ा, जजपा से दुष्यंत चौटाला व नैना चौटाला, इनेलो में अभय सिंह चौटाला व उनके समधि दिलबाग लाठर तथा लोसुपा में पूर्व सांसद राजकुमार सैनी ताल ठोंक रहे हैं।

------

104 महिलाओं ने ठोंकी ताल

- कुल 90 सीटों पर 1169 प्रत्याशी

- 1 करोड़ 83 लाख 90 हजार 525 मतदाता

- 98 लाख 78 लाख  42 पुरुष मतदाता

- 85 लाख 12 हजार 231 महिला मतदाता

- फरीदाबाद में सबसे अधिक 15 लाख 12 हजार 47 मतदाता

- चरखी दादरी जिले में सबसे कम 3 लाख  82 हजार 329 मतदाता

- चुनाव में 104 महिला उम्मीदवार

- पिछले चुनाव में कुल 115 महिलाएं उतरी, 13 विधायक बनीं

-------

हर प्रत्याशी की औसत संपत्ति सवा चार करोड़ से ज्यादा

-117 उम्मीदवारों पर चल रहे आपराधिक मुकदमे

- 70 पर संगीन केस

-481 उम्मीदवार करोड़पति

- प्रत्याशियों की औसत संपत्ति 4.31 करोड़

-सोहना से जजपा प्रत्याशी रोहताश सिंह 325 करोड़ की संपत्ति के साथ सबसे अमीर

- नारनौंद से चुनाव लड़ रहे वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु 170 करोड़ की संपत्ति के मालिक

- गुरुग्राम से कांग्रेस उम्मीदवार सुखबीर कटारिया 106 करोड़ की संपत्ति के मालिक

-घरौंडा में रिपब्लिक पार्टी के सतबीर सिंह, राई से निर्दलीय बिजेंद्र कुमार व खरखौदा से आजाद हरपाल सिंह सबसे गरीब। तीनों के पास कोई संपत्ति नहीं

-----

भले ही अंगूठा टेक हैं मगर विधायक तो बनना है

-25 उम्मीदवार अंगूठा टेक

- 574 प्रत्याशी 12वीं तक शिक्षित

- 484 स्नातक या इससे ऊपर की डिग्री वाले

- 35 उम्मीदवार डिप्लोमा धारक और 19 साक्षर

------

युवा से लेकर बुजुर्ग तक हर कोई चाहे विधानसभा पहुंचना

- हरियाणा के चुनावी रण में 700 उम्मीदवारों की उम्र 25 से 50 वर्ष के बीच

- 400 प्रत्याशी 51 से 70 वर्ष के बीच

- 30 उम्मीदवारों की उम्र 71 से 80 वर्ष के बीच

- आठ उम्मीदवारों ने नहीं दिया उम्र का ब्योरा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.