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मोदी-मनोहर फैक्टर के साथ गैर जाटों की एकजुटता से हुई भाजपा की विराट जीत

हरियाणा में भाजपा की विराट जीत में मोदी और मनोहर फैक्‍टर के साथ ही गैर जाटों की एकजुटता का अहम याेगदान है। माना जा रहा है कि गैर जाटों ने एकजुट होकर भाजपा को वोट दिया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 12:27 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 08:57 PM (IST)
मोदी-मनोहर फैक्टर के साथ गैर जाटों की एकजुटता से हुई भाजपा की विराट जीत
मोदी-मनोहर फैक्टर के साथ गैर जाटों की एकजुटता से हुई भाजपा की विराट जीत

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में भाजपा की विराट जीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम मनाेहर लाल के फैक्‍टर के संग गैर जाटों की एकजुटता ने अहम भूमिका निभाई। माना जा रहा है कि सभी दस लोकसभा सीटों पर भाजपा उम्मीदवार नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल की जोड़ी ने चुनाव जीते हैं। रोहतक लोकसभा सीट को छोड़ दिया जाए तो बाकी नौ सीटों पर भाजपा ने एकतरफा जीत हासिल की है। पिछले चुनाव में भाजपा ने सात सीटें जीती थी। इस बार राज्य की सभी दस सीटों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्रवाद फैक्टर, मनोहर लाल के काम और गैर जाट मतों की भाजपा के हक में एकजुटता भाजपा की जीत का बड़ा कारण बनी है।

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हरियाणा में भाजपा का बड़ा चेहरा बने मनोहर लाल, विधानसभा में भी लहराएंगे परचम

हरियाणा में भाजपा के प्रति लोगों की दीवानगी का आलम यह रहा कि पिछले चुनाव की अपेक्षा पार्टी के वोट बैंक में एकाएक 23 फीसदी की भारी बढ़ोतरी हुई है। भाजपा ने पिछले चुनाव में सात सीटें जीतकर 35 फीसदी वोट हासिल किए थे, जबकि इस बार भाजपा का मत प्रतिशत शेयर 58 तक पहुंच गया है। जाट आरक्षण आंदोलन, डेरा हिंसा और सरकार का तख्ता पलट करने की तमाम साजिशों के बावजूद दस की दस सीटें जीतकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने साबित कर दिया कि वह ही अगले चुनाव में भाजपा का बड़ा चेहरा होंगे।

जाट आरक्षण आंदोलन का केंद्र बिंदु रहे जिलों में बुरी तरह से हारे कांग्रेस उम्मीदवार

हरियाणा में पिछले दिनों हुए पांच नगर निगम और जींद के उपचुनाव में भी मनोहर फैक्टर ने काम किया था। इस बार फिर ईमानदार सरकार, नौकरियों में पारदर्शिता तथा भ्रष्टाचार रहित सिस्टम भाजपा की जीत में सहायक बने हैं। हरियाणा में कांग्रेस उन तमाम जिलों और हलकों में चुनाव हारी है, जो जाट आरक्षण आंदोलन की धुरी थे। खुद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गृह जिले रोहतक और सोनीपत में कांग्रेस की हालत पतली रही। जाट आंदोलन प्रभावित इलाकों में गैर जाट मतदाताओं ने भाजपा के हक में पूरी एकजुटता बरती है, जिसका नतीजा कांग्रेस की बुरी हार के रूप में सामने आया है।

विधानसभा चुनाव जीतने के लिए अब भाजपा में भी शांत रहेंगे मनोहर लाल के विरोधी

प्रदेश में भाजपा की बंपर जीत के साथ यह भी साफ हो गया कि हरियाणा में अगला चुनाव मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। मनोहर लाल की बढ़ती राजनीतिक ताकत का ही नतीजा है कि अब पार्टी के भीतर उनका विरोध भी खत्म हो गया है। विरोधियों का अपने-अपने हलकों में चुनाव जीतने का लालच और मनोहर लाल के प्रति मोदी व शाह की जोड़ी का बढ़ता विश्वास इसकी बड़ी वजह है।

करनाल, कुरुक्षेत्र और रोहतक में कामयाब रहे मनोहर लाल के दांव

हरियाणा की तीन लोकसभा सीटों करनाल, कुरुक्षेत्र और रोहतक में खेला गया मुख्यमंत्री मनोहर लाल का दांव बड़ा काम आया है। मुख्यमंत्री ने करनाल से टिकट मांग रहे डा. अरविंद शर्मा को बड़े ही रणनीतिक ढंग से रोहतक शिफ्ट किया और अपनी पसंद के संजय भाटिया को करनाल में टिकट दिला दिया। कुरुक्षेत्र में उन्होंने अपने भरोसे के राज्य मंत्री नायब सिंह सैनी पर दांव खेला।

मनोहर लाल के यह तीनों दांव कामयाब रहे। करनाल में संजय भाटिया की जीत से अब मनोहर लाल और संजय भाटिया की जोड़ी मिलकर बढिय़ा काम कर सकेगी, जबकि पूर्व में निवर्तमान सांसद अश्विनी चोपड़ा के साथ अक्सर टकराव रहता था। रोहतक में डा. अरविंद शर्मा की जीत से भाजपा जाट लैंड में गैर जाट नेतृत्व खड़ा करने में कामयाब हो गई, जबकि कुरुक्षेत्र में भाजपा से बागी हो चुके राजकुमार सैनी का नायब सैनी के रूप में शानदार विकल्प सामने आया है।

हुड्डा, चौटाला और भजनलाल का गढ़ जीतकर ताकतवर हुए मनोहर

मुख्यमंत्री मनोहर लाल पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा, ओमप्रकाश चौटाला और भजनलाल के गढ़ जीतकर राजनीतिक रूप से ताकतवर हुए हैं। भाजपा हिसार, रोहतक और सिरसा में कभी कमल नहीं खिला सकी थी। रोहतक में कांग्रेस तो हिसार व सिरसा में इनेलो-जजपा का कब्जा था। इन तीनों सीटों पर भाजपा ने एक बड़ी रणनीति के तहत पूरे साढ़े चार साल तक फोकस किए रखा और आखिरकार जीत की सफलता हाथ लगी।

1998 में भाजपा व इनेलो का राज्य में गठबंधन था। तब पांच सीटें इनेलो व पांच भाजपा ने जीती थी। दस की दस सीटें जीतने के उस समय मोदी भाजपा के प्रदेश प्रभारी, रतनलाल कटारिया प्रदेश प्रधान और मनोहर लाल प्रांतीय संगठन महामंत्री होते थे। मोदी और मनोहर की जोड़ी ने हरियाणा में 21 साल बाद दस सीटें जीतने का इतिहास दोहराया है। अंतर सिर्फ यह है कि इस बार इतिहास भाजपा ने खुद के बूते बनाया।

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