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दिल्ली में अतिक्रमण रोकने के लिए उठाया जाएगा कड़ा कदम, LG ने दिए अधिकारियों को निर्देश

सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को रोकने के लिए कदम उठाने के लिए उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 11:47 AM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 11:47 AM (IST)
दिल्ली में अतिक्रमण रोकने के लिए उठाया जाएगा कड़ा कदम, LG ने दिए अधिकारियों को निर्देश
दिल्ली में अतिक्रमण रोकने के लिए उठाया जाएगा कड़ा कदम, LG ने दिए अधिकारियों को निर्देश

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी दिल्ली में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को रोकने के लिए कदम उठाने की दिशा में बुधवार को उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अपने निवास से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के उपाध्यक्ष व मंडलायुक्त सहित सभी जिला अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए।

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बैठक में उपराज्यपाल ने अधिकारियों को सरकारी जमीन का सीमांकन करने का निर्देश दिया। वहीं मंडलआयुक्त और सभी जिला अधिकारियों को अपने अधिकार क्षेत्र के अधीन सभी ग्राम सभा क्षेत्रों में सरकारी भूमि की स्पष्ट पहचान सुनिश्चित करने व अतिक्रमण से बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए भी कहा। एलजी के निर्देश के बाद अब माना जा रहा है कि सरकारी जमीनों पर अवैध निर्माण करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। 

राजस्व भूमि के रिकॉर्ड की डिजिटलीकरण प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश

इसके अलावा राज्यपाल ने राजस्व भूमि के रिकार्ड की डिजिटलीकरण प्रक्रिया को शीघ्रता से पूरा करने के आदेश भी दिए। भू प्रबंधन का कार्य आधुनिक रूप से करने के लिए उन्होंने दिल्ली के मुख्य सचिव, दिल्ली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और मंडल आयुक्त को प्रभावी भूमि प्रबंधन के लिए एक साथ काम करने की सलाह दी।

अवैध निर्माण को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई

उधर, दिल्ली हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकारी जमीन पर होने वाले अवैध निर्माण को हमेशा ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए। मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने यह टिप्पणी दिल्ली स्टेट यंग लॉयर फोरम ने दायर याचिका को रद करते हुए की थी।

याचिका में निजी व सरकारी भूमि पर होने वाले अवैध निर्माण व अतिक्रमण को टेकओवर कर युद्ध में शहीद हुए परिवारों को पुनर्वास के लिए देने की मांग की थी। मुख्य पीठ ने कहा कि याचिका को स्वीकार करने का मतलब है कि अवैध निर्माण व अतिक्रमण को सरकारी जमीन पर हमेशा के लिए बरकरार रखना।

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