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निर्वाचन आयोग की सख्ती का असर नजर आ रहा जनसंपर्क पर

मोहल्ले में निकलने वाले जनसंपर्क अभियान के बारे में भी जानकारी देनी पड़ रही है।

By Hemant UpadhyayEdited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 08:31 PM (IST)Updated: Mon, 05 Nov 2018 08:31 PM (IST)
निर्वाचन आयोग की सख्ती का असर नजर आ रहा जनसंपर्क पर
निर्वाचन आयोग की सख्ती का असर नजर आ रहा जनसंपर्क पर

दुर्ग। निर्वाचन आयोग की सख्ती का असर राज्य की हर गली, मोहल्ला में प्रत्याशियों द्वारा किए जाने वाले जनसंपर्क पर भी दिखाई पड़ रहा है। गली, मोहल्ला में भी नुक्कड़, सभा व रैली के लिए निर्वाचन कार्यालय से अनुमति लेनी पड़ रही है।

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मोहल्ले में निकलने वाले जनसंपर्क अभियान के बारे में भी जानकारी देनी पड़ रही है। निर्वाचन आयोग द्वारा इस बार चुनाव प्रचार को लेकर भी नियम कायदे तय किए गए हैं। इससे पूर्व के चुनाव मेंं प्रत्याशी गली, मोहल्ला में अपनी मर्जी और सुविधा के हिसाब से जनसंपर्क कर लेते थे। इसके लिए सिर्फ पार्टी पदाधिकारियों व क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को सूचना देनी पड़ती थी लेकिन इस बार गली, मोहल्ला में जनसंपर्क के लिए निर्वाचन कार्यालय में भी आवेदन कर जानकारी देनी पड़ रही है।

किस गली, मोहल्ला में कहां से कहां तक जनसंपर्क करना है और इसमें कितने लोग शामिल होंगे, इसके बारे में भी जानकारी देनी पड़ रही है। जिला निर्वाचन कार्यालय द्वारा इसे ध्यान में रखते हुए कलेक्टोरेट परिसर में अनुमति शाखा कक्ष भी खोला गया है। अनुमति शाखा कक्ष के सहायक नोडल अधिकारी आरडी साहू ने बताया कि प्रत्याशियों को जनसंपर्क के दौरान गली, मोहल्ला में नुक्कड़ नाटक व रैली के संबंध में भी पहले से सूचना देकर अनुमति लेनी है।

पार्टियों ने दी है जिम्मेदारी
प्रचार- प्रसार के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा बनाए गए कायदे- कानून का सख्ती से पालन करना है। इसे ध्यान में रखते हुए प्रमुख राजनीतिक दलों ने चुनाव सभा, रैली व जनसंपर्क के लिए अनुमति लेने पार्टी के प्रमुख लोगों को जिम्मेदारी दी है। आयोग द्वारा नुक्कड़ नाटक व रैली की वीडियो रिकार्डिंग कराई जा रही है। बिना अनुमति आयोजन पर आचार संहिता उल्लंघन का मामला भी बन सकता है।

पहले रैली व सभा के लिए अनुमति पड़ती थी लेनी
इससे पूर्व के वर्षो में चुनाव लड़ने वाले अभ्यर्थियों को बड़ी चुनावी सभा व रैली के लिए अनुमति लेनी पड़ती थी। इस बार आयोग के सख्ती का असर छोटे दल के प्रत्याशी व निर्दलीय उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार पर पड़ सकता है। इसका कारण यह है कि जनसंपर्क के लिए अनुमति लेने के लिए रोजाना निर्वाचन कार्यालय का चक्कर काटने व लिखा- पढ़ी के लिए एक-दो लोगों की अलग से व्यवस्था से करनी पड़ेगी।


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