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CG Election 2018: बस्तर में लोकतंत्र की जय-जय, 18 सीटों पर 66 प्रतिशत मतदान

Chhattisgarh Chunav 2018: पहले चरण की 18 सीटों में से 10 ऐसी सीटें थीं जहां नक्सलियों ने वोटरों को चुनाव से दूर रहने की चेतावनी जारी की थी।

By Prashant PandeyEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 08:23 AM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 08:23 AM (IST)
CG Election 2018: बस्तर में लोकतंत्र की जय-जय, 18 सीटों पर 66 प्रतिशत मतदान
CG Election 2018: बस्तर में लोकतंत्र की जय-जय, 18 सीटों पर 66 प्रतिशत मतदान

रायपुर, नईदुनिया राज्य ब्यूरो। छत्तीसगढ़ के प्रथम चरण चरण की 18 सीटों का चुनाव धुर नक्सल बेल्ट में था लेकिन मतदाताओं के उत्साह और हौसले के आगे नक्सल खौफ को मैदान छोड़कर भागना पड़ा। लोकतंत्र जीता और बूथों पर जमकर बरसे वोट। इस बार इन सीटों पर करीब 66 फीसद मतदान हुआ है। छत्तीसगढ़ के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सुब्रत साहू ने देर रात बताया कि मतदान के यह आंकड़े प्रारंभिक हैं।

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अभी भी कई केंद्रों के वोटिंग का प्रतिशत आना बाकी है और इसमें चार से पांच फीसद तक वृद्धि हो सकती है। पहले चरण की 18 सीटों में से 10 ऐसी सीटें थीं जहां नक्सलियों ने वोटरों को चुनाव से दूर रहने की चेतावनी जारी की थी। यहां सुबह 7 बजे से शाम 3 बजे तक मतदान था, लेकिन कई केंद्रों पर शाम 6 बजे तक मतदाताओं की लाइन लगी रही। सबसे ज्यादा 84 फीसद मतदान राजनांदगांव जिले की खैरागढ़ विधानसभा सीट पर हुआ जबकि बीजापुर में सबसे कम 33 फीसद मतदान दर्ज किया गया।

डॉ. रमन समेत 190 प्रत्याशियों का मतदाताओं ने तय किया भाग्य

पहले चरण में बस्तर संभाग के सात जिलों की 12 सीटों और राजनांदगांव जिले की छह सीटों के लिए 190 प्रत्याशी मैदान में थे। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह समेत कई दिग्गजों के भाग्य पर मतदाताओं ने तय कर दिए। कुल 4336 मतदान केंद्र बनाए गए थे जिनमें 30 संगवारी मतदान केंद्र थे। इस चरण में कुल 31 लाख 79 हजार 520 मतदाता थे। शाम 5 बजे के बाद 190 प्रत्याशियों के भाग्य ईवीएम में कैद हो गए। 11 दिसंबर को इनके भाग्य का फैसला होगा। दंतेवाड़ा के नीलावाया में जहां कुछ दिन पहले नक्सलियों ने दूरदर्शन के कैमरामैन को मार दिया था वहां 19 मतदाता निकले। इस मतदान केंद्र को कुछ दूर मारेंगा में शिफ्ट किया गया था। इलाके के अन्य केंद्रों में भी वोटिंग हुई। कोंटा के धुर नक्सल प्रभावित चिंतागुफा में 68 फीसद वोटिंग हुई।

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किस्टारम, भेज्जी, गगनपल्ली, कलनार, गोलापल्ली आदि नक्सल इलाकों में जहां पिछली बार एक भी वोट नहीं पड़ा था वहीं इस बार जमकर मतदान हुआ है। कांकेर के आमापानी गांव के मतदान केंद्र को तेमा शिफ्ट किया गया था। इससे नाराज ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया। बस्तर में आत्म समर्पित नक्सली दंपति मेनूराम और नागमति मतदान केंद्र पहुंचे। दंतेवाड़ा के छोटेकरका और चेरपाल से इंद्रावती नदी पार कर मुचनार पहुंचे मतदाता। नक्सली धमकी के बावजूद छोटेकरका में 63.3 प्रतिशत और चेरपाल में 32 फीसद मतदान हुआ। इसी घाट पर पिछले चुनाव के दौरान नक्सलियों ने नाव डुबो दी थी।

103 वर्ष की मां को गोद में लेकर आया बेटा

बस्तर में मतदाता नदी नाला, पहाड़ लांघकर, कई किलोमीटर पैदल चलकर मतदाता बूथों तक पहुंचे व लोकतंत्र के महायज्ञ में आहुति दी। नारायणपुर में एक महिला सुबह 5 बजे ही केंद्र पहुंच गई तो कोंटा के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 103 साल की मां को गोद में उठाकर बेटा मतदान कराने पहुंचा। वहीं कांकेर में अमेरिका से आकर दो बहनों ने वोट डाला।

सुबह 11 बजे तक ही हो गई 87 फीसद पोलिंग

नारायणपुर के गोहड़ा मतदान केंद्र में सुबह 11 बजे तक 87 फीसद वोटिंग हो गई थी। दंतेवाड़ा के भैरबंद केंद्र में 12 बजे तक 87 फीसद वोट पड़ चुके थे। दंतेवाड़ा के ही मांझीपदर में दोपहर तक 63 प्रतिशत मतदान हुआ था। इन सभी केंद्रों में 12 बजे के बाद सन्नाटा रहा। हालांकि दंतेवाड़ा के हांदावाड़ा केंद्र पर दोपहर तक एक भी वोट नहीं पड़ा था, फिर भी इस बार जीरो वोटिंग किसी केंद्र पर नहीं हुई।

कुछ ईवीएम में आई खराबी, बाद में ठीक

सुबह मतदान शुरू होते ही कुछ केंद्रों से ईवीएम खराब होने की शिकायतें आईं लेकिन जल्द ही उसे सुधार लिया गया। मतदान के दौरान 53 मशीनें, 47 कंट्रोल यूनिट और 84 वीवीपैट खराब हुई थी। निर्वाचन आयोग का कहना है कि सभी जगह 20 से 40 मिनट में दुरूस्त कर लिया गया। बस एक केंद्र में एक घंटा 11 मिनट लगा।

नक्सलियों को दिया मुंहतोड़ जवाब

दंतेवाड़ा के कटेकल्याण के नयानार में सुबह 5.30 बजे नक्सलियों ने विस्फोट किया लेकिन मतदान दल बेखौफ होकर मतदान कराने पहुंचा। बीजापुर के भैरमगढ़ के केशकुतुल में दो बम बरामद किए गए। बीजापुर के पामेड़ में स्पाइक होल बरामद किया। पामेड़ में मुठभेड़ में जवानों ने सीने पर लोहा झेला लेकिन नक्सलियों को हावी नहीं होने दिया और कई को मार गिराया।  


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