CG Election 2018 : पत्थलगड़ी के मुद्दे को उछालने की तैयारी में विपक्ष, सरकार सतर्क
CG Election 2018 दरअसल पत्थलगड़ी का मुद्दा उठा तो किसका भला होगा और कौन निपट जाएगा इसे लेकर राजनीतिक दल असमंजस में हैं।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण के चुनाव में अन्य मुद्दों के अलावा पत्थलगड़ी का मुद्दा भी प्रभावी हो सकता है। पत्थलगड़ी की आंच फिलहाल दबी हुई है लेकिन मतदान से पहले कांग्रेस और विपक्ष की पूरी कोशिश है कि इस मुद्दे को सुलगाया जाए।
भाजपा जानती है कि ऐसे भावनात्मक मुद्दों के सहारे ही विपक्ष अपनी नैया पार लगाने की कोशिश करेगा इसीलिए पार्टी इसपर पहले से ही आक्रामक दिख रही है। भाजपा ने पहले भी इस मुद्दे को धर्मांतरण से जोड़कर हिंदू वोटों के धु्रवीकरण की राह चुनी थी। चुनाव के दौरान भी पार्टी की लाइन वही दिख रही है।
दरअसल पत्थलगड़ी का मुद्दा उठा तो किसका भला होगा और कौन निपट जाएगा इसे लेकर राजनीतिक दल असमंजस में हैं। विपक्ष भी खुलकर पत्थलगड़ी को मुद्दा नहीं बना रहा है। दबे-छिपे उन इलाकों में पत्थलगड़ी अभियान और सरकारी दमन की चर्चा की जा रही है।
सरकार जानती है कि अगर इसे मुद्दा बनाया गया तो उसके पास इससे निपटने के लिए ढेरों अस्त्र हैं। पत्थलगड़ी वाले इलाकों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभाएं कराई जा रही हैं। भाजपा की कोशिश है कि राम मंदिर और हिंदुत्व को उभारा जाए। कांग्रेस जानती है कि अगर उसने पत्थलगड़ी को हवा देने की कोशिश की तो हिंदुत्व प्रभावी हो सकता है। यही वजह है कि चुनाव में इस मुद्दे को हवा देने की कोशिश तो हो रही है लेकिन पार्टियां फूंक फूंककर कदम उठा रही हैं।
क्या है पत्थलगड़ी
पत्थलगड़ी के तहत आदिवासी गांवों में पत्थर गाड़कर उसपर लिखा जा रहा था कि यह पांचवीं अनुसूची क्षेत्र है, बाहरी लोग बिना अनुमति प्रवेश न करें। इस मुद्दे पर काफी बवाल मचा था। आदिवासी संगठनों ने इसे खूब हवा दी थी, लेकिन तब सरकार संवैधानिक प्रावधानों के हिसाब से इस मुद्दे से निपटने में कामयाब रही थी। जशपुर, कुनकुरी इलाकों में जहां चर्च का प्रभाव है वहां इस मुद्दे पर काफी हंगामा मचा था। पत्थलगड़ी के नेताओं को जेल भी जाना पड़ा था।
राजनीतिक दलों की रणनीति
विपक्ष इस मुद्दे को भुनाना चाहता है। इससे प्रभावित गांवों में प्रचार किया जा रहा है कि अगर सरकार बदली तो आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को बहाल किया जाएगा। भाजपा बता रही है कि हमने ही संवैधानिक व्यवस्था के तहत सभी को समान अधिकार दिया है। आदिवासियों का वास्तविक विकास भाजपा सरकार में हुआ है। आदिवासी विकास प्राधिकरण से लेकर आदिवासी म्यूजियम तक तमाम योजनाएं लागू की गई हैं।