CG Election Result 2018 : पत्नी बहू संग अजीत जोगी सदन की ओर
Chhattisgarh Election result 2018 : ajeet jogi family जोगी मरवाही विधानसभा सीट से दो बार 2003 व 2008 में विधायक रह चुके हैं।
रायपुर, नईदुनिया, राज्य ब्यूरो। कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बनाने वाले अजीत जोगी भले राज्य की सरकार में अपनी सहभागिता नहीं कर सके। सरकार बनाने का दावा उनका पूरी तरह धराशायी हो गया। पर वे अपने पूरे कुनबे के साथ सदन की ओर अग्रसर हैं। मिल रहे रुझानों में अजीत जोगी मरवाही से, रेणु जोगी कोटा से तथा रिचा जोगी अकलतरा से अपने-अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे चल रह रहे हैं।
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने राज्य में 55 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें मरवाही से स्वयं अजीत जोगी व कोटा से उनकी पत्नी रेणु जोगी उम्मीदवार थीं। वहीं बहू ऋचा जोगी सहयोगी दल बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर अकलतरा से उम्मीदवार थीं। मतगणना के शाम चार बजे तक के रूझान में तीनों आगे चल रहे थे। जकांछ के अन्य उम्मीदवार भी अपने अपने सीटों पर आगे चल रहे है। बसपा भी राज्य में दो से तीन सीटों पर अभी बढ़त बनाए हुए हैं।
कांग्रेस के पक्ष में चली एकतरफा आंधी में भले बढ़े बढ़े दल हवा हो गए पर अजीत जोगी अपने कुनबे व पार्टी की साख को बचाने में अब तक सफल दिखे। परिणाम आने के बाद और तस्वीर साफ होगी पर अजीत जोगी व उनके कुनबे की अब तक की बढ़त ने साबित किया कि जोगी का छत्तीसगढ़ की राजनीति में अभी अवसान नहीं हो रहा। पार्टी का यह पहला प्रदर्शन था। पार्टी अभी और उत्साह से अगले चुनाव की तैयारी करेंगे।
1 नवंबर 2000 को जब छत्तीसगढ़ राज्य की घोषणा हुई तो मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पं. विद्याचरण शुक्ल का नाम सबसे ऊपर था, लेकिन पार्टी हाईकमान ने सबको चौंकाने वाला फैसला लेते हुए अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बना दिया। जोगी मरवाही से उपचुनाव लड़े। 2003 तक उनकी सत्ता रही। साल के अंत में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथ से सत्ता निकल गई। इसके बाद भाजपा ने कांग्रेस को दोबारा सत्ता में आने का मौका नहीं दिया।
कांग्रेस में जोगी और दूसरे वरिष्ठ नेताओं के बीच गुटबाजी बढ़ती चली गई। अंतत: भूपेश बघेल के पीसीसी अध्यक्ष बनने के बाद जोगी का निष्कासन हो गया। जून 2016 में जोगी ने अपनी अलग पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जकांछ) का एलान कर दिया। जोगी समर्थक कई नेता कांग्रेस छोड़कर जकांछ में आ गए। जकांछ को पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ना था, इसलिए जोगी ने अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए दूसरे दलों का सहारा लिया। उन्होंने पहले बसपा और उसके बाद सीपीआइ से सीटों का बंटवारा करके गठबंधन किया। परिवार के चार सदस्यों में से एक अमित जोगी को चुनाव नहीं लड़ाने का फैसला लिया।
पार्टी चलाना बड़ी चुनौती है
जोगी परिवार के लिए अपनी पार्टी को चलाना बड़ी चुनौती है। चुनाव के पहले आर्थिक संकट को दूर करने के लिए कई तरह की कवायद की। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरह लोगों से चंदा लेकर डिप्लोमेसी डिनर पार्टी का आयोजन किया। ऑनलाइन आर्थिक मदद मांगी। इस कारण जोगी परिवार के लिए करिश्माई प्रदर्शन करना या सरकार का हिस्सा बनना बहुत ही जरूरी है, ताकि पार्टी को ऑक्सीजन मिलता रहे।
दो बार विधायक, एक बार सांसद चुने गए जोगी
जोगी मरवाही विधानसभा सीट से दो बार 2003 व 2008 में विधायक रह चुके हैं। 2004 में जोगी ने महासमुंद से लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद चुने गए। 2013 में उन्होंने अपनी जगह पुत्र अमित जोगी को कांग्रेस के टिकट से मरवाही से चुनाव लड़ाया। अभी 2013 के विधानसभा चुनाव में फिर से जोगी ने मरवाही से चुनाव लड़ा है।
अंत तक कांग्रेस में रोके रखा रेणु को
जोगी को उम्मीद थी कि पत्नी रेणु को कोटा से कांग्रेस टिकट दे सकती है, इसलिए कांग्रेस की सूची आने तक इंतजार किया। कांग्रेस ने कोटा से प्रत्याशी बदल दिया, तब रेणु का नामांकन जकांछ से भराया। रेणु जोगी कोटा से दो बार की विधायक हैं।
बहू के लिए बसपा के आधार वाली सीट तलाशी
जोगी ने बहू रिचा के बसपा के आधार वाली सीट तलाशी। उन्हें बसपा के कोटे वाली अकलतरा सीट से चुनाव लड़ाया, वह भी बसपा की सदस्यता दिलाकर। इसके पीछे रणनीति यह रही कि बसपा और जोगी समर्थकों का वोट मिलकर गुल खिला सकता है। अकलतरा में 2008 में बसपा जीती थी और 2013 में बसपा तीसरे नम्बर पर थी।
रमन को चुनौती देकर परंपरागत सीट पर लौटे
अजीत जोगी ने पहले राजनांदगांव सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा करके मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को चुनौती दी। ऐनवक्त पर नामांकन के समय उन्होंने परंपरागत सीट मरवाही से फॉर्म भर दिया।
(रिपोर्ट- अनुज सक्सेना)