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CG Election 2018 : परियोजनाओं और कंपनियों के लिए जमीन देने वाले किसान खुश

CG Election 2018 : कांग्रेस ने वादा किया है कि देंगे चार गुना मुआवजा। पहले सरकार देती रही दोगुना मुआवजा, अब दुबारा मिलेगा पैसा।

By Hemant UpadhyayEdited By: Published: Thu, 13 Dec 2018 07:55 PM (IST)Updated: Thu, 13 Dec 2018 07:55 PM (IST)
CG Election 2018 : परियोजनाओं और कंपनियों के लिए जमीन देने वाले किसान खुश
CG Election 2018 : परियोजनाओं और कंपनियों के लिए जमीन देने वाले किसान खुश

रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की बंपर विजय के बाद जनता की उम्मीदें परवान पर हैं। उन किसानों के चेहरों पर भी खुशी दमक रही है जिन्होंने विभिन्न् सरकारी परियोजनाओं या निजी उपक्रमो के लिए सरकार को अपनी जमीन दी है। इसकी वजह यह है कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि जमीन का मुआवजा चार गुना दिया जाएगा।

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अब तक छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को दो गुना मुआवजा देती रही है। अब उन किसानों को भी इसका लाभ मिलेगा जिन्होंने हाल के कुछ वर्षों में अपनी जमीन दी है और दोगुना मुआवजा ही हासिल कर पाए हैं। जमीन अधिग्रहण का मुद्दा यहां बेहद संवेदनशील रहा है। छत्तीसगढ़ में कोयला खदानों, रेल परियोजनाओं, सड़कों के लिए जमकर भूमि अधिग्रहण किया गया है। निजी कपंनियों के लिए भी सरकार भूमि अधिग्रहण करती रही है।

केंद्र सरकार ने वर्ष 2013 में कानून पास किया था जिसमें कहा गया था कि सरकारी भूमि अधिग्रहण के मामलों में जमीन के मालिक को ग्रामीण इलाकों में चार गुना और शहरी इलाकों में दो गुना मुआवजा दिया जाएगा। भूमि के मूल्य का निर्धारण कलेक्टर दर पर किया जाएगा और इसी दर का चौगुना या दोगुना दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ में इस कानून में संशोधन किया गया और कानून पास किया गया कि चौगुना नहीं दोगुना ही मुआवजा देंगे।

अब कांग्रेस सरकार के बनने के बाद केंद्र के कानून को दोबारा अमल में लाया जाएगा। इसका वादा कांग्रेस ने ही किया है इसलिए किसानों की उम्मीदें जागी हैं। कांग्रेस ने यह कहा है कि 2013 में जब केंद्र सरकार ने कानून पास किया था उसके बाद से जितनी भी भूमि का अधिग्रहण किया गया है उसका भी चार गुना मुआवजा नई सरकार देगी। यानी चार-पांच साल पहले जिन लोगों की जमीन गई थी उन्हें भी अब और पैसे मिलेंगे।

भूअधिग्रहण का अधिकार राज्य सरकार को

भूमि अधिग्रहण का काम राज्य सरकारें ही कलेक्टरों के माध्यम से करती हैं चाहे भूमि सरकारी परियोजना के लिए ली जा रही हो, सड़क, नहर, रेललाइन, सरकारी कारखाने, खदान आदि के लिए ली जा रही हो या निजी कंपनियों के लिए। जमीन की दर कलेक्टर तय करते हैं और मुआवजा का वितरण भी वही करते हैं। राज्य सरकार जमीन की राशि संबंधित कंपनियों, संस्थाओं या विभागों से वसूलकर किसानों देने के लिए उपलब्ध कराती है।

कानूनी दांव पेंच में उलझा मामला

केंद्रीय कानून में लिखा है कि भूमि का मुआवजा चार गुना तक दिया जाएगा। चार गुना तक यानी इससे कम भी हो सकता है। इसी बिंदु का फायदा छत्तीसगढ़ सरकार ने उठाया। इस कानून में चार बार संशोधन किया गया और आखिर में 2016 में कानून पास कर दिया गया कि मुआवजा चार गुना नहीं दोगुना ही दिया जाएगा। ग्रामीण कृषि भूमि के लिए चार गुना, शहरी डायवर्टेड भूमि के लिए दो गुना और निवेश क्षेत्र की भूमि का मुआवजा स्क्वायर फीट के हिसाब से देने का कानून है। अब केंद्रीय कानून यहां लागू किया जाएगा।

प्रदेश में हजारों हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया

छत्तीसगढ़ नया राज्य है। यहां तेजी से विकास हो रहा है इसलिए भूमि की जरूरत भी ज्यादा है। पूरे प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों का उन्न्यन किया जा रहा है। रायपुर-जगदलपुर, रायपुर-बिलासपुर, एनएच-6 पर मंदिर हसौद से सुहेला तक, सिमगा से कवर्धा, सरगुजा संभाग में जगह-जगह नेशनल हाइवे के लिए हजारों एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया है।

राष्ट्रीय राजमार्गों के अलावा सैकड़ों किलोमीटर राज्य सड़कें और ग्रामीण सड़कें भी बन रही हैं या हाल के वर्षों में बनी हैं। रेलवे लाइनों के लिए दो ब्लॉक में भूमि अधिग्रहण हो रहा है। सरगुजा और बस्तर में नई रेललाइनें बिछाई जा रही हैं। नई राजधानी के लिए ही 22 गांवों की जमीन ली गई है। जिंदल, बाल्को, सारडा एनर्जी, एनटीपीसी जैसे दर्जनों उद्योगों के लिए भी भूमि ली गई है। हर जिले में औद्योगिक पार्क बनाने के लिए सरकार ने जमीन ली है। यानी इस वादे को पूरा करने के लिए सरकार एक लाख करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च करेगी।  


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