CG Election 2018: शपथ पत्र से शपथ तक की राजनीति में उलझा छत्तीसगढ़ का चुनाव
CG Election 2018 नेताओं को लगा कि अब वादों से काम नहीं चलेगा तो शपथ की राजनीति शुरू कर दी।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में 2018 का चुनाव शपथ, संकल्प के लिए याद रखा जाएगा। इस चुनाव में नेताओं को समझ आ गया कि जनता अब उनकी बातों पर भरोसा ऐसे ही नहीं करने वाली। नेता वैसे तो शपथ भी झूठी खा सकते हैं पर यह भी है कि शपथ का एक महत्व तो है ही।
नेताओं को लगा कि अब वादों से काम नहीं चलेगा तो शपथ की राजनीति शुरू कर दी। शुरूआत शपथ पत्रों से हुई और चुनाव का आखिरी दौर गंगाजल तथा धर्मग्रंथों की शपथ तक आ पहुंचा। देखना यह है कि जनता शपथ उठाने वाले नेताओं पर कितना भरोसा करती है। यह भी कि नेता शपथ लेकर वादा पूरा करेंगे या इन चुनावों के बाद शपथ का महत्व भी खत्म हो जाएगा।
राजनीति में शपथ कोई नई बात नहीं है। सरकारें बनती हैं तो मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक पद और गोपनीयता की शपथ लेते हैं। इस शपथ का सांकेतिक महत्व ही है। नेता इस शपथ पर कितने टिके रहते हैं यह बताने की जरूरत नहीं है। हालांकि चुनाव जीतने के लिए शपथ लेने का यह दौर नया है। छत्तीसगढ़ से इसकी शुरूआत हुई है।
शपथ पत्र पर आई घोषणा
शपथ पत्र पर घोषणा करने की शुरूआत जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के नेता अजीत जोगी ने की। जोगी की पार्टी नई है और पहली बार चुनाव मैदान में है। जनता उनपर सीधे भरोसा शायद न करती इसलिए अपने वादों पर जोर देने के लिए जोगी ने शपथ पत्र का सहारा लिया। जोगी अब दूसरे दलों को चुनौती दे रहे हैं कि खाली वादों से क्या होगा। हिम्मत है तो शपथ पत्र में लिखकर दें। वैसे जोगी ने शपथ पत्र एक ही बनवाया।
लोगों को उसकी फोटो कॉपी बांटी गई। यह भी मुद्दा उठा कि फोटो कॉपी के शपथ पत्र को लेकर कोई मुकदमा कर भी पाएगा या नहीं। बताया गया कि शपथ पत्र है तभी तो उसकी फोटो कॉपी है। मुकदमा हो सकता है। अब क्या हो सकता है यह तो तभी पता चलेगा जब मुकदमा करने की नौबत आएगी। कोर्ट कचहरी में मुकदमे वर्षों तक चलते हैं, तमाम दांव पेंच खेले जाते हैं। वैसे शपथ पत्र आया तो एक और नए दल आम आदमी पार्टी ने भी इसी का सहारा लिया।
आप का भी शपथ
जोगी छह महीने से शपथ पत्र बांट रहे हैं तो आम आदमी पार्टी(आप) ने अभी इसकी शुरूआत की है। कांग्रेस-भाजपा ने पारंपरिक घोषणापत्र ही जारी किया है। देखें लोग शपथ पत्र पर यकीन करते हैं या नहीं।
गंगाजल से शपथ का सहारा
शपथ पत्र ही नहीं, इस बार गंगाजल हाथ में लेकर शपथ लेने की नौबत भी आई और धर्मग्रंथों की शपथ उठाने की भी। कांग्रेस ने किसानों की कर्जमाफी का वादा किया तो विपक्षी इसे चुनावी शिगूफा ठहराने लगे। कांग्रेस को लगा कि कहीं ऐसा न हो कि उनका इतना बड़ा दांव पिट जाए। तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आरपीएन सिंह और और अन्य प्रेस कांफ्रेंस में गंगाजल लेकर आ गए। गंगाजल हाथ में लेकर शपथ ली कि कर्जमाफी का वादा पूरा करेंगे।
जोगी को अलग से भी लेनी पड़ी शपथ
अजीत जोगी को तो शपथ पत्र बांटने के बाद भी अलग से शपथ लेनी पड़ी। जोगी कह बैठे कि वे भाजपा को समर्थन देंगे। बस फिर क्या था, कांग्रेस को तो उन्हें भाजपा की बी टीम साबित करने के लिए मौका भर चाहिए था। बसपा सुप्रीमो मायावती अलग नाराज हो गईं। बात बिगड़ती देख जोगी ने भी एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों की आठ पवित्र किताबों को सामने रखकर शपथ ली। कहा-सूली पर चढ़ना पसंद करूंगा, भाजपा से न समर्थन लूंगा न दूंगा।