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CG Chunav 2018: यहां 3000 फीट की ऊंचाई चढ़कर वोट डालने जाएंगे बैगा आदिवासी

CG Chunav 2018: यह मतदान केंद्र कोटा विधानसभा के अंतर्गत आता है। यहां से कुल 11 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनमें अजीत जोगी की पत्नी डॉ. रेणु जोगी भी शामिल हैं।

By Arvind DubeyEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 10:42 AM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 10:42 AM (IST)
CG Chunav 2018: यहां 3000 फीट की ऊंचाई चढ़कर वोट डालने जाएंगे बैगा आदिवासी
CG Chunav 2018: यहां 3000 फीट की ऊंचाई चढ़कर वोट डालने जाएंगे बैगा आदिवासी

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के दूसरे चरण में 72 सीटों पर मतदान हो रहा है। जिन सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं, उनमें कोटा विधानसभा भी शामिल है। कोटा विधानसभा क्षेत्र के नक्शे में ठाड़पथरा गांव है। राजस्व दस्तावेजों में इसे बैगा आदिवासी गांव के रूप में जाना जाता है। बैगा आदिवासियों की बहुलता वाले यह गांव पहाड़ की तराई में स्थिति है। यह ग्राम पंचायत मुख्यालय भी है। यह बात और है कि ठाड़पथरा जहां न तो जिला प्रशासन का शत-प्रतिशत मतदान का अभियान पहुंचता है और न ही कोई प्रशासनिक अमला। इसके बाद भी यहां के मतदाता मतदान के दौरान बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं। तीन हजार फीट की ऊंचाई चढ़कर बैगा आदिवासी इस चुनाव में भी अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं।

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जानिए कोटा सीट के बारे में

सीटिंग एमएलए डॉ. रेणु जोगी इस बार जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की उम्मीदवार हैं। कांग्रेस ने उनके मुकाबले विभोर सिंह को तो भाजपा ने काशी राम साहू को मैदान में उतारा है। कुल 11 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं।

155 वोटर्स

अपर कलेक्टर बीएस उइके के मुताबिक, तराई में बसे गांव की श्रेणियों में यह ग्राम पंचायत का आखिरी मोहल्ला है जो पहाड़ के नीचे बसा हुआ है। पहाड़ के ऊपर स्थित ग्राम पंचायत मुख्यालय से इस गांव की दूरी तकरीबन तीन हजार फीट नीचे है। तराई में बसे बैगा आदिवासी मतदाताओं की संख्या तकरीबन 155 है। घने जंगलों के बीच तराई के नीचे स्थित गांव पूरी तरह पहुंच विहीन है।

कोटा ब्लॉक के अंतिम छोर पर स्थित इस गांव में बैगा आदिवासी निवास करते हैं। बुनियादी सुविधाओं का यहां पूरी तरह अभाव है। राशन सहित खाद्यान्न सामग्रियों के लिए पहाड़ी के ऊपर चढ़ना पड़ता है। सिर पर सामान लादकर तीन हजार फीट नीचे आना पड़ता है। कुछ इस तरह की मशक्कत बैगा आदिवासी रोजाना करते हैं।

बैगा आदिवासी बहुल गांव में मतदान कराने आने वाले मतदान दल को मुख्य मार्ग से पांच किलोमीटर पैदल चलकर आना होगा। इसके बाद ईवीएम व अन्य सामान को लादकर कुछ दूर पहाड़ की ऊंचाई भी चढ़नी होगी ।

बूथ में जमा रहता है पूरा गांव

ठाड़पथरा के आदिवासी मतदान को त्योहार के रूप में मनाते हैं। इस दिन गांव के पुरुष व महिला मतदाता सुबह से तैयार हो जाते हैं। महिलाएं भोजन बनाकर उसे रख लेती हैं। पोलिंग बूथ में पहुंचने के बाद भोजन करते हैं । मतदान के बाद वापस अपने घरों की ओर लौट जाते हैं। वोट डालने जाते वक्त बच्चों को भी साथ ले जाते हैं।

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