Bhupesh baghel: 5 साल तक रोज 150 km का सफर, तब जाकर भूपेश बने CM
Bhupesh baghel: पांच दिनों से जारी कश्मकस के बाद आखिरकार छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हो गई है।
रायपुर। पांच दिनों से जारी कश्मकस के बाद आखिरकार छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हो गई है। रविवार की दोपहर कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन में पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे ने विधायकों की मौजूदगी में नए सीएम के रूप में भूपेश बघेल के नाम की घोषणा की। इसी के साथ भूपेश का एक लंबा सफर सीएम की कुर्सी तक जाकर पूरा हुआ है। इस कुर्सी तक पहुंचने के लिए भूपेश ने पिछले 5 साल के दौरान करीब पौने तीन लाख किलोमीटर का सफर और 1 हजार किलोमीटर की पद यात्रा की।
प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के लिए चार दावेदारों के नाम कांग्रेस हाईकमान के सामने थे। इनमें से भूपेश शुरू से ही सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। दरअसल प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से ही भूपेश लगातार संगठन को मजबूत करने और जनहित के मुद्दों पर तत्काल अपनी प्रतिक्रिया देने के चलते जन-जन के लोकप्रिय बने। भूपेश को यात्राओं से जन्मा नेता कहा जा रहा है।
कांग्रेस को छत्तीसगढ़ की राजनीति में मुख्य भूमिका तक पहुंचाने के पीछे भूपेश की यात्राओं की बहुत ही अहम भूमिका रही। कहीं किसानों का आंदोलन हो, या फिर आदिवासियों से जुड़े मुद्दे, हर जगह भूपेश की पहुंच लगातार बरकरार रही। बस्तर से लेकर सरगुजा तक भूपेश अपनी राजनीतिक यात्राओं में लगातार सक्रिय रहे।
गाड़ियों का माइलोमीटर बता रहा सफर की कहानी
उनके पास दो गाड़ियां है, जिनका उपयोग वे रोजाना सफर के लिए करते हैं। उनकी एक गाड़ी का माइलोमीटर पौने दो लाख किलोमीटर का सफर पांच साल के दौरान तय करना बता रहा है, वहीं दूसरी गाड़ी का माइलोमीटर एक लाख किलोमीटर के आंकड़े पर पहुंच चुका है। कुल मिलाकर पांच वर्षों के दौरान भूपेश ने पौने तीन लाख किलोमीटर का सफर राज्य में राज्य की जनता के बीच पहुंचने के लिए किया। इस तरह कुल 1825 दिनों के दरम्यान भूपेश प्रतिदिन औसतन डेढ़ सौ किलोमीटर तक का सफर करते रहे। इसके अलावा इस दौरान उन्होंने कुल 1 हजार किलोमीटर की पदयात्रा भी की। इसके अलावा वे अपनी बुलेट मोटर सायकल से भी यात्राएं करते रहे। बस्तर के पहुंच विहीन गांवों तक का रास्ता तय करने के लिए भूपेश ने मोटर सायकल का सहारा लिया।
कहीं भी उठता दिखाई पड़ता आंदोलन तो पहुंच जाते थे भूपेश
भूपेश की सक्रियता को लेकर हर एक कार्यकर्ता यही बात कह रहा है कि भूपेश ने पिछले पांच वर्षों के दौरान हर एक मोर्चे पर अपनी मौजूदगी दिखाई है। कहीं भी, किसी भी प्रकार का असंतोष या आंदोलन उठता दिखाई पड़ता तो तत्काल भूपेश वहां मौजूद दिखाई पड़ते थे। आंदोलन का नेतृत्व अपने हाथ में लेकर वे इसे एक मुकाम तक भी पहुंचाते नजर आए। किसान के बेटे के रूप में पहचान रखने वाले भूपेश ने प्रदेश के किसानों के दिल में अपनी जगह बना ली थी। वे किसानों के हर एक आंदोलन में उनके साथ खड़े नजर आए। यही सतत यात्रा उनकी सफलता की सबसे बड़ी वजह बनी और वे सीएम की कुर्सी तक पहुंचे।