विधानसभा में सरकार की इस घोषणा से सैकड़ों परिवारों को मानसिक राहत मिली होगी कि उनके लापता बच्चों की तलाश के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। इन बच्चों में अधिसंख्य साधनहीन परिवारों की नाबालिग लड़कियां हैं जिन्हें उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर मानव तस्कर अपने साथ ले गए। पिछले एक साल में सूबे के अलग-अलग हिस्सों से करीब तीन हजार लड़कियां इसी तरह बहला-फुसलाकर गुम कर दी गईं। इन लड़कियों को शादी और नौकरी का झांसा देकर ले जाया जाता है। दिसंबर में गुम हुई एक लड़की हाल में अपने घर लौटी। उसने इस दौरान जो यातना भोगी, वह दिल दहलाने वाली है। लड़की को बार-बार बेचा गया। अंतत: दिखावे के लिए उसकी शादी दो सगे भाइयों से करवा दी गई जिन्होंने उसके साथ हैवानों जैसा बर्ताव किया। इस लड़की के साथ गायब हुई एक अन्य लड़की की तो हत्या ही कर दी गई। दरअसल, बिहार के ग्रामीण अंचलों में बेइंतिहा गरीबी के कारण ऐसे परिवारों की लड़कियां मानव तस्करों के निशाने पर रहतीं हैं। नेपाल, बंगाल और बिहार दशकों से मानव तस्करों के पसंदीदा कार्यस्थल रहे हैं। नाबालिग बच्चों को बहला-फुसलाकर या गुमराह करके मानव तस्कर अपने साथ ले जाते हैं और फिर उन्हें गंदी मंडियों में नरक भोगने के लिए बेच देते हैं। ज्यादातर लड़कियों को शादी का झांसा देकर देह व्यापार में झोंक दिया जाता है। किशोर बच्चों को भी तरह-तरह की यातना दी जाती है। इनमें कुछ भाग्यशाली बच्चे ही अवसर मिलने पर घर वापस आ पाते हैं अन्यथा ज्यादातर उसी नरक में जिंदगी काटने का समझौता कर लेते हैं। अभिभावक भी कुछ साल इंतजार करने के बाद इसे अपनी नियति मानकर शांत हो जाते हैं क्योंकि साधनहीनता के चलते कुछ भी उनके वश में नहीं होता। राज्य सरकार ने गुम बच्चों की तलाश में विशेष अभियान चलाने का आश्वासन देकर ऐसे परिवारों को नाउम्मीदी से बाहर निकालने का प्रयास किया है। यदि सरकार के प्रयास से कुछ बच्चे वापस आ जाते हैं तो यह उनके परिवारों के लिए वरदान जैसा होगा। बहरहाल, सरकार को बिहार की लड़कियों पर जुल्म ढा रहे मानव तस्करों के खिलाफ भी अभियान चलाना चाहिए ताकि इस समस्या को जड़ से खत्म किया जा सके। बिहार की बेटियों ने जीवन के विविध क्षेत्रों में मेधा और कामयाबी के झंडे गाड़े हैं लेकिन शिक्षा और साधनों से वंचित परिवारों की बेटियों के हालात इसके ठीक विपरीत हैं। सरकार ने विधानसभा में जो अभियान चलाने की घोषणा की है, उसे जल्द शुरू किया जाना चाहिए ताकि दिल्ली-मुंबई में नरक भोग रहे बिहार के बच्चे अपने आंगन में लौट सकें।
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लड़कियों और मासूम बच्चों की मानव तस्करी बिहार के लिए बेहद चिंताजनक, अपमानजनक और पीड़ादायक परिस्थिति है। जिस राज्य की बेटियां अपनी मेधा और उत्साह के लिए जानी जाती हैं, उसी राज्य की हजारों लाचार लड़कियां महानगरों की बदनाम मंडियों में नरक भोगने को अभिशप्त हैं।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]