हरियाणा में यौन अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। यह स्थिति चिंता जनक है। कई घटनाओं में तो अभियुक्तों ने दरिंदगी की हद ही कर दी। बृहस्पतिवार को रोहतक में हुई घटना भी दिल दहला देने वाली है, जिसमें युवती की हत्या के बाद उसके शरीर से मांस नोचे जाने के निशान हैं। रोहतक और उसके आसपास के इलाके में तो यौन अपराध बहुत ज्यादा होते हैं। निर्भया कांड के तीन महीने बाद भी रोहतक में निर्भया जैसा कांड हुआ था। विचारण न्यायालय उसमें अभियुक्तों को फांसी की सजा सुना चुका है। लेकिन हरियाणा में जिस तरह से यौन अपराध बढ़ रहे हैं, उससे लगता है कि मृत्युदंड का भय भी महिलाओं को महफूज रख पाने में नाकाम है। दुखद तो यह है कि महिलाएं न तो घर में सुरक्षित हैं। न बाहर। वैसे तो यौन अपराध पूरे देश में बढ़ रहे हैं, लेकिन हरियाणा में आबादी के अनुपात में देखें तो इसका ग्र्राफ बहुत ज्यादा है। जिस प्रदेश की बेटियां हर क्षेत्र में अपना नाम कमा रहीं है, वहां ऐसी कौन सी परिस्थितियां हैं, जो यौन अपराध बढ़ रहे हैं? इस पर गंभीरता से सोचना होगा। यहां तक कि बच्चियां छेड़छाड़ के भय से स्कूल जाने से कतराती हैं। उनके साथ दुष्कर्म की घटनाएं भी सामने आई हैं। ऐसा नहीं कि सरकार यौन अपराधों के प्रति कुछ नहीं करती। प्रदेश के हर जिले में महिला थाने हैं। पीड़ित महिलाओं के लिए वन स्टॉप सेंटर सखी बनाए गए हैं। फिर भी महिलाओं के प्रति अपराध कम होना तो दूर बढ़ते ही जा रहे हैं। ये तभी कम हो सकते हैं, जब समाज भी इसके बारे में सोचे। सिर्फ सरकार और कानून के भय से यौन अपराध नहीं रुक जाएंगे। यह भी गौर करने वाली बात है कि बहुत सी यौन अपराध की घटनाएं लोकलाज के भय से छुपा ली जाती हैं। ऐसा करना मजबूरी होती है, क्योंकि समाज का दुष्कर्म पीड़ित युवती के प्रति कुछ अलग ही नजरिया होता है। जब तक समाज का यह नजरिया नहीं बदलेगा तब तक स्थिति में सुधार होना संभव नहीं है। समाज को पीड़ित महिलाओं को साहस की प्रतीक के रूप में देखना होगा। साथ ही दुष्कर्मियों के सामाजिक बहिष्कार की परंपरा भी शुरू करनी होगी। ऐसा किए बगैर स्थिति में सुधार संभव नहीं है।

[  स्थानीय संपादकीय : हरियाणा  ]