पिछले वर्ष जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान अदम्य साहस का परिचय देने वाले हवा सिंह प्रदेश सरकार की उपेक्षा के शिकार हैं। जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान पांच सौ अधिक उपद्रवियों की भीड़ ने झज्जर के स्टेट बैंक ऑफ पटियाला पर हमला कर बैंक को लूटना चाहा था। इतनी बड़ी भीड़ का बैंक में नियुक्त गार्ड हवा सिंह ने जान पर खेलकर अकेले मुकाबला किया। सेवानिवृत्त फौजी हवा सिंह ने वैसे ही अदम्य साहस का परिचय दिया जैसे सीमा पर सैनिक देते हैं। हवा सिंह ने यह बात भी साबित कर दी कि एक फौजी हमेशा फौजी होता है। दुख की बात यह है कि हवा सिंह के साहस का प्रदेश सरकार ने सम्मान नहीं किया। जाट आंदोलन र्में ंहसा का शिकार हुए लोगों को तो वह नौकरी और आर्थिक मदद दी जा रही है, लेकिन घायल हवा सिंह के बेटे को नौकरी देने पर उसने चुप्पी साध रखी है। परिवार का मुखिया साल भर से अस्पताल में है, सरकार ने इतना भी नहीं किया कि आर्थिक मदद ही दे दे। सरकार और समाज दोनों को सोचना चाहिए कि हवा सिंह जैसे लोग वास्तविक नायक हैं।
मनोहर सरकार की उनके प्रति संवेदनहीनता मन को खट्टा करने वाली है। केंद्र सरकार ने भी इस फौजी के साहस को सम्मान करने से परहेज किया। पिछले वर्ष मार्च में केंद्रीय योजना एंव शहरी विकास राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली व मुख्यमंत्री मनोहर लाल से हवा सिंह को सिविलियन गेलेंटरी पुरस्कार से सम्मानित करने की मांग की थी। उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में हवा सिंह को मुआवजा देने व उसके पुत्र को नौकरी देने का आग्र्रह किया था। मगर अभी तक न तो केंद्र सरकार ने कुछ किया न हरियाणा सरकार ने। अब फिर एक बार राव इंद्रजीत ने हवा सिंह के लिए आवाज उठाई है। उम्मीद है कि सरकार अदम्य साहस का परिचय देने वाले हवा सिंह के साहस का सम्मान करेगी। यदि ऐसा नहीं होता तो यह दुखद होगा और भविष्य में लोग ऐसे मौकों पर कर्तव्य पथ अडिग रहने के बजाय बचकर निकल जाने में भलाई समझेंगे। इसलिए हवा सिंह के साहस को सम्मान दिलाने के लिए सबको आवाज उठानी चाहिए क्योंकि ऐसे जांबाज ही रीयल लाइफ के हीरो हैं।

[ स्थानीय संपादकीय : हरियाणा ]