हर असफलता किसी सफलता के लिए हार बनाती है बशर्ते उससे सबक सीखा जाए। चुनौती कोई भी हो, जीवन के पक्ष में ही जाए तभी बेहतर होगा।
 जीवन संघर्ष का नाम है। इसलिए चुनौतियों या परेशानियों से हार न मानें बल्कि उनका सामना करना हर व्यक्ति का ध्येय होना चाहिए। हार की निराशा या तनाव को खुद पर इतना हावी न होने दें कि जिंदगी ही दाव पर लग जाए चाहे अपनी या अपनों की। दुनिया उन्हीं को याद करती है, जो जिंदगी की मुश्किलों का साहस से सामना करना जानते हैं। उन्हें कभी याद नहीं किया जाता, जो निराशा के भंवर में फंसकर पलायन को प्राथमिकता देना पसंद करते हैं। वैसे भी पलायन सफलता का पर्याय नहीं बन सकता। सफलता तभी मिलती है, जब पीछे न हटने का जज्बा और मंजिल पाने का जुनून मनुष्य के साथ हो। जीवन भगवान की दी अनमोल नेमत है, जिसकी कदर हर इन्सान को करनी चाहिए। मौजूदा भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव होना आम है, लेकिन कई बार लोग इसे सहन नहीं कर पाते व आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। हिमाचल में भी आत्महत्या के बढ़ते मामले पहाड़ की संस्कृति से मेल नहीं खाते। मानसिक तनाव लोगों पर इस कदर हावी होता जा रहा है कि वे इससे मुक्ति पाने के लिए मौत को गले लगाने से भी नहीं चूक रहे। प्रदेश में आत्महत्या के ताजा मामले झकझोरने वाले हैं। युवाओं के इस कदम को सही नहीं ठहराया जा सकता है। मंडी के एक निजी शिक्षण संस्थान में पढ़ने वाले नर्सिग प्रशिक्षु छात्र ने हॉस्टल के कमरे में फंदा लगा लिया। वहीं सिरमौर जिले के कालाअंब में एक युवती ने घर में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। इसके अलावा बैजनाथ में भी एक युवक ने घरेलू परेशानी के कारण घर के अंदर ही फंदा लगाकर जान दे दी है। इस तरह पढ़े-लिखे लोग तनाव में भला-बुरा ही न सोच पाएं तो यह चिंता का विषय है। समझना होगा कि परेशानी व दिक्कतों का ही नाम जिंदगी है। हर काली रात के बाद उजाला आता है। आत्महत्या आसान नहीं होती लेकिन इसे सही करार नहीं दिया जा सकता। परिवेश को कभी भी ऐसा माहौल नहीं बनने देने चाहिए जिससे कोई हंसता-खेलता जीवन तनाव की भेंट चढ़ जाए। इन्सान बचपन से लेकर ताउम्र संवाद में रहता है और यह संवाद ही उसके व्यक्तित्व को बनाता या बिगाड़ता है। यह संवाद माता-पिता, शिक्षकों या संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों से हो सकता है। हमें ऐसा वातावरण तैयार करना होगा, जिसमें आत्मविश्वास बढ़े, उत्साह में वृद्धि हो व सहनशीलता आदि गुणों की वृद्धि हो।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]