अब जबकि चुनाव नतीजे आ चुके हैं सबकी नजरें इस ओर आकर टिक गई हैं भाजपा विधायक दल का नेता, यानी मुख्यमंत्री कौन चुना जाता है।

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया। पिछले सोलह सालों के दौरान जिस तरह हर विधानसभा चुनाव में मतदाता ने सत्तारूढ़ पार्टी को नकार कर विपक्ष को मौका देने की परंपरा निभाई, उस परिप्रेक्ष्य में इस बार भाजपा के सत्ता में आने की संभावना जरूर मानी जा रही थी मगर इतने प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा को जीत मिलेगी, शायद किसी को इसका अनुमान भी नहीं था। अब जबकि चुनाव नतीजे आ चुके हैं, सबकी नजरें इस ओर आकर टिक गई हैं कि भाजपा विधायक दल का नेता, यानी मुख्यमंत्री कौन चुना जाता है। वैसे तो चाहे कांग्रेस हो या फिर भाजपा, अब तक हर बार विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी किसी स्थानीय सांसद को ही मिलती रही है। वर्ष 2002 में संपन्न राज्य के पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता में आई। तब कांग्रेस आलाकमान ने किसी निर्वाचित विधायक की बजाए नैनीताल से तत्कालीन पार्टी सांसद नारायण दत्त तिवारी को मुख्यमंत्री बनाकर उत्तराखंड भेज दिया। वर्ष 2007 के दूसरे विधानसभा चुनाव में भाजपा सत्ता में आई तो फिर यही कहानी दोहरा दी गई। उस वक्त भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने तत्कालीन पौड़ी गढ़वाल सांसद भुवन चंद्र खंडूड़ी की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी कर दी। किसी सांसद को मुख्यमंत्री बनाए जाने की परंपरा वर्ष 20012 के तीसरे विधानसभा चुनाव में भी कायम रही। इस बार कांग्रेस ने सत्ता हासिल होने के बाद टिहरी से सांसद विजय बहुगुणा को अपने निर्वाचित विधायकों पर तरजीह देते हुए मुख्यमंत्री बना दिया। अब इस विधानसभा चुनाव में भी क्या इसी परंपरा को आगे बढ़ाया जाएगा, यह सवाल सबके मन में कौंध रहा है। दरअसल, वर्तमान में उत्तराखंड के पांचों लोकसभा सदस्य भी भाजपा के ही हैं। इनमें से तीन तो पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। स्वाभाविक रूप में इन्हें भी मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार समझा जा रहा है। सभी अपनी ओर से इसके लिए जुटे भी हुए हैं। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्रियों के अलावा मुख्यमंत्री पद की दौड़ में पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री से लेकर प्रदेश में मंत्री पद का जिम्मा संभाल चुके वरिष्ठ विधायकों के नाम भी शामिल हैं। इनके अलावा केंद्र की राजनीति में सक्रिय उत्तराखंड से संबंध रखने वाले कुछ नेताओं के नाम भी चर्चा में हैं। अब इस मामले में गेंद पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के पाले में है, देखना है किस नेता के नाम को मुख्यमंत्री पद के लिए नेतृत्व हरी झंडी देता है।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तराखंड ]