यह अत्यधिक निराशाजनक है कि राष्ट्रीय स्वच्छता रैंकिंग में इस बार भी बिहार के पटना सहित सभी नगरों का प्रदर्शन बेहद घटिया है। बिहारशरीफ को राज्य का सर्वाधिक स्वच्छ शहर आंका गया है। उसकी राष्ट्रीय रैंकिंग 146वीं हैं। राजधानी पटना का दर्जा राज्य में तीसरा, जबकि राष्ट्रीय रैंकिंग में 262वां हैं। यह रैंकिंग राज्य के नगर निकायों की कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रश्नचिन्ह है। कुछ निकाय इस रैंकिंग की प्रामाणिकता पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं यद्यपि उनके तर्क बेदम हैं। यदि ऐसे निकायों का आशय यह है कि राजनीतिक कारणों से बिहार के नगरों को निचली रैंकिंग दी गई है तो उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि केंद्र सरकार कई क्षेत्रों में बिहार सरकार के कामकाज की न सिर्फ सराहना कर चुकी है बल्कि बेहतरीन प्रदर्शन के लिए कई विभागों को सम्मानित भी किया गया है। संयोग है कि जिस वक्त स्वच्छता रैंकिंग जारी हुई, उसी वक्त दिल्ली में ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में बिहार की टेरिफ प्रणाली की तारीफ की जा रही थी। ऐसे में यह विश्वास करना कठिन है कि राजनीति या किसी अन्य वजह से स्वच्छता के मामले में बिहार को नीचा दिखाया जा रहा। बेहतर होगा कि नगर विकास विभाग और नगर निकाय नकारात्मकता छोड़कर इस बात पर गहन चिंतन करें कि स्वच्छता रैंकिंग में बिहार के नगरों का प्रदर्शन इतना खराब क्यों है? पटना की गंदगी पर कुछ समय पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और हाईकोर्ट भी टिप्पणी कर चुके हैं। इसके बावजूद राजधानी को स्वच्छ बनाने की कोई गंभीर पहल नहीं दिखी। केंद्रीय टीम ने पटना को काफी कम अंक दिए, इससे स्पष्ट है कि विशेषज्ञ यहां की सफाई के स्तर से संतुष्ट नहीं हुए। पटना नगर निगम प्रशासन को इन बातों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। प्रशासन को जनता को बताना चाहिए कि राजधानी को स्वच्छ रखने के लिए क्या विशेष इंतजाम किए गए क्योंकि नागरिकों को ऐसा कोई अभियान नजर नहीं आया। डोर टू डोर कूड़ा उठाव की व्यवस्था भी महज दिखावा बनकर रह गई। इसका प्रभावी स्वरूप अब तक सामने नहीं आया। इन हालात में नगर निगम प्रशासन किस आधार पर बेहतर रैंकिंग की उम्मीद रखता है। इससे ज्यादा निराशा की बात क्या होगी कि टॉप टेन तो दूर, टॉप 100 में भी पटना का कोई शहर स्थान नहीं पा सका। अब जरूरी है कि नगर विकास विभाग राज्य के शहरों की सफाई व्यवस्था की गहन समीक्षा करे। मौजूदा रैंकिंग राज्य की छवि पर बदनुमा धब्बा है। हर स्तर पर संकल्प लिया जाना चाहिए कि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति नहीं होगी।
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राष्ट्रीय स्वच्छता रैंकिंग में राजधानी पटना सहित सभी शहरों के निराशाजनक प्रदर्शन की गहन जांच कराई जानी चाहिए। जो राज्य ऊर्जा सहित कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रदर्शन कर रहा, उसके शहरों में स्वच्छता को लेकर इस कदर लापरवाही क्यों?

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]