दो दिवसीय बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट में विभिन्न क्षेत्रों में उद्योग की संभावनाओं पर चर्चा हुई और इस क्रम में राज्य में 2.43 लाख करोड़ रुपये निवेश के प्रस्ताव मिले तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को उत्साहित होना स्वाभाविक है। राज्य की मुखिया के तौर पर ममता ने उद्योगपतियों से बंगाल पर भरोसा कर निवेश करने की अपील की, केंद्र को सहयोग करने के लिए धन्यवाद दिया और अंत में उद्योग के क्षेत्र में अतीत में हुई कुछ गलतियों के लिए माफी भी मांगी। माफी की बात मुंह से निकलने पर वह कुछ देर के लिए भावुक हुईं और उनकी आंखें भी नम हुईं। हालांकि बाद में उन्होंने इसकी व्याख्या की और कहा कि पिछली वाममोर्चा सरकार ने जो गलती की है उसके लिए उन्होंने माफी मांगी है। साथ ही मुख्यमंत्री ने बंगाल को नजरअंदाज नहीं करने की बात भी कही। राज्य में निवेश के लिए उद्योगपतियों से आगे बढऩे की अपील, बंगाल में मौजूद ढांचागत सुविधाओं का बढ़ाना और अंत में ममता की माफी। कुल मिला कर देखा जाए तो बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट में ममता विविध रूप में नजर आईं। बंगाल में निवेश की धारा बहाने के लिए राज्य की मुखिया के तौर पर उनसे जितना संभव हो सका उन्होंने वह सब किया। इसके बावजूद सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री उद्योगपतियों का भरोसा व विश्वास अर्जित करने में भी सफल हुईं? इस कसौटी पर देखा जाए तो उन्हें निराशा ही हाथ लगी है।

2.43 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिलने का ममता ने जो दावा किया है उसमें अधिकांश हिस्सा सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों, जहाजरानी मंत्रालय व एनटीपीसी का है। देश के संघीय ढांचा के तहत केंद्र राज्यों का भी सामान विकास करने के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्र व राज्य में परस्पर विरोधी पार्टी सरकार होने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाल के प्रति उदारता दिखाई है। ममता ने अतीत में राज्य के उद्योग क्षेत्र में गलती होने की जो बता कही है उसी तरह केंद्र से भी पश्चिम बंगाल के मामले में गलती हुई है। पहले बड़े उद्योग लगाने के लिए राज्यों को केंद्र की अनुमति पर निर्भर करना पड़ता था। वाममोर्चा के 34 वर्षों के शासन में राजनीतिक कारणों से पश्चिम बंगाल के औद्योगिक विकास में केंद्र से अपेक्षित सहयोग नहीं मिला। ममता जब विपक्ष में थीं तो वामपंथियों से लडऩे में वह उस हद तक गई जहां उद्योग का नुकसान हुआ। सिंगुर से टाटा मोटर्स के हटने के लिए ममता के आंदोलन को ही जिम्मेदार माना जाता है। ममता ने जब माफी मांगी है तो कहीं न कहीं उन्हें खुद की गलती का भी अहसास हुआ है। अब उद्योग जगत ममता पर भरोसा कर खुले दिल से निवेश के लिए आगे बढ़ता है तभी माना जाएगा कि ममता की माफी मांगना सार्थक हुआ।

[स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल]