भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की 30 नवंबर को कोलकाता में होने वाली सभा को लेकर राज्य में राजनीतिक तापमान चढ़ा हुआ है। सभा आयोजित होने में महज तीन दिन बाकी रह गए हैं लेकिन पुलिस ने धर्मतल्ला के विक्टोरिया हाउस के सामने अमित शाह की सभा की अनुमति नहीं दी है। प्रदेश भाजपा ने इस संबंध में हाईकोर्ट में मामला भी दायर किया है जो विचाराधीन है। पुलिस की अनुमति नहीं मिलने के बावजूद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने धर्मतल्ला में विक्टोरिया हाउस के सामने ही सभा करने पर अड़े हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि सभा को लेकर यदि किसी तरह की गड़बड़ी होती है तो उसकी जिम्मेदारी कोलकाता पुलिस की होगी। जाहिर है शाह की कोलकाता में सभा को लेकर एक तरह से राजनीतिक खींचतान की स्थिति बनी है जिसे उचित नहीं कहा जा सकता। भाजपा अध्यक्ष की सभा को लेकर राजनीतिक टकराव की आशंका पैदा हो गई। सवाल उठता है आखिर किसी बड़े नेता की सभा को लेकर क्यों विवाद व टकराव पैदा होना चाहिए? अगर ऐसी स्थिति बनी है तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है?

विक्टोरिया हाउस के समक्ष राजनीतिक सभा होती रही है। वाममोर्चा के 34 वर्षों के शासन में ममता बनर्जी जब विपक्ष में थीं तो वहीं शहीद दिवस के मौके पर सभा करती थीं। सत्ता में आने के बाद भी मुख्यमंत्री ने वहां दो बार शहीद दिवस के मौके पर सभा की जिसमें भारी भीड़ जुटी थी। पिछले 21 जुलाई को विक्टोरिया हाउस के समक्ष ममता के बड़ी सभा करने के बाद माकपा ने भी वहां 6 दिसंबर को जवाबी सभा करने की घोषणा की है। माकपा के मुताबिक उसे भी विक्टोरिया हाउस के समक्ष सभा करने की पुलिस ने अनुमति नहीं दी। विपक्षी दलों ने इस संबंध में पुलिस व सरकार पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है जो कुछ हद तक सही है।

लोकतंत्र में सबको अपनी मनपसंद जगह पर सभा करने व धरना देने का अधिकार है। अगर किसी खास जगह पर सभा करने से प्रशासन को परेशानी है तो नियम सब पर समान रूप से लागू होना चाहिए। विक्टोरिया हाउस के समक्ष अमित शाह की सभा की अनुमति नहीं देने के बारे में सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि इसके लिए आवेदन विलंब से किया गया। भाजपा अध्यक्ष की सभा में कितने लोग उपस्थिति रहेंगे इसका सटीक ब्योरा आवेदन में नहीं है। सुरक्षा कारणों से वहां भाजपा अध्यक्ष की सभा करने की अनुमति नहीं दी गई। सरकार का यह तक किसी के गले आसानी से नहीं उतर सकता। अमित शाह कोलकाता या पश्चिम बंगाल में कहीं भी सभा करते हैं तो उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है। शहर के एक केंद्रीय स्थल पर शाह को सभा करने की अनुमति नहीं देने के पीछे राजनीतिक कारण है।

[स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल]