आइटीओ से दिल्ली तक सिग्नल फ्री करने के दिल्ली सरकार के नए प्लान का स्वागत किया जाना चाहिए। इससे लोगों को जाम की समस्या से मुक्ति मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। लोग इस नए प्लान पर अमल होने का इंतजार कर रहे हैं। फिलहाल इस प्लान को रिंग रोड, विकास मार्ग, बाहरी रिंग रोड, जीटी रोड और अरविंदो मार्ग पर लागू किया जाना है। इन मार्गों पर अतिक्रमण हटाने के साथ ही सुगम यातायात में आने वाली अन्य बाधाओं को दूर किया जाएगा। यह प्रयोग सफल रहा तो दिल्ली के अन्य मार्गों पर भी इसे लागू किया जाएगा। ऐसा नहीं है कि दिल्ली को जाम मुक्त करने की बात पहली बार हो रही है। इससे पहले भी कई योजनाएं बनाई गईं, लेकिन इससे जाम की समस्या दूर नहीं हुई है। इसका मुख्य कारण योजना को लागू करने में हीलाहवाली है। अधिकारी कागजों पर योजनाएं तो बना देते हैं, लेकिन उसे लागू करने पर ध्यान नहीं देते हैं। परिणामस्वरूप अब तक दिल्ली की सड़कों को जाम मुक्त करने का सपना पूरा नहीं हो सका है। इसलिए जरूरी है कि योजना बनाने के साथ ही उसके प्रभावी क्रियान्वयन पर भी जोर दिया जाना चाहिए।
जाम के कारण ईंधन की बर्बादी होती है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। लोगों का बहुमूल्य समय भी जाम में फंसने से बर्बाद होता है। इससे राजधानी को आर्थिक क्षति भी हो रही है। इसलिए इस समस्या के कारणों की पहचान कर उसे दूर करना जरूरी है। इस समस्या का एक बड़ा कारण सड़कों पर हो रहा अतिक्रमण है। इसी तरह से जर्जर सड़कें, सड़कों की बनावट में खामी और यातायात सिग्नल प्रणाली में खराबी से जाम की समस्या बढ़ रही है। इसलिए सुगम यातायात के लिए इन बाधाओं को दूर करना होगा। यह काम आसान नहीं है। एक तो सभी एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल होना चाहिए, दूसरा इस काम में सियासत कहीं आड़े नहीं आनी चाहिए। अक्सर अतिक्रमण हटाने का मामला सियासी रंग ले लेता है। इसका खामियाजा आम दिल्लीवासियों को भुगतना पड़ता है। इसलिए संबंधित विभाग, सिविक एजेंसियों, राजनीतिक पार्टियों और स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ आम नागरिकों को भी दिल्ली को जाम मुक्त करने में अपना योगदान देना चाहिए। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि सामूहिक सहयोग से ही बेहतर दिल्ली का निर्माण संभव है।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]