बारिश के पानी का संग्रह करने को लेकर नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) की कवायद स्वागतयोग्य है। राजधानी में गिरते भूजल स्तर के मद्देनजर एनडीएमसी ने 97 स्थानों पर वाटर हार्वेस्टिंग पिट तैयार करने की योजना बनाई है। यह प्रयास वर्षा जल संचयन में निश्चित तौर पर उपयोगी साबित होगा। इससे भूजल स्तर में सुधार की भी संभावना है। गिरते भूजल स्तर की समस्या से लगातार जूझ रही दिल्ली में आमतौर पर वर्षा जल संचयन को लेकर सरकारी एजेंसियां गंभीर नहीं नजर आतीं। इसका दुष्परिणाम यह होता है कि बड़ी मात्रा में वर्षा का जल भूमि में नहीं जा पाता, जिसके कारण भूजल स्तर उठाने में मदद नहीं मिलती और यह लगातार गिरता जा रहा है। लोगों को वर्षा जल संचयन के लिए जागरूक करने और उन्हें इसके लिए तय नियमों का पालन कराने में भी एजेंसियां उदासीन ही नजर आती हैं। ऐसे में एनडीएमसी का प्रयास सराहनीय है और यह अन्य सरकारी एजेंसियों के समक्ष एक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
सर्वविदित है कि जल स्रोत सीमित होते जा रहे हैं, जबकि मांग बढ़ती जा रही है, ऐसे में पानी के इस्तेमाल में किफायत और जल संचयन दोनों ही समय की मांग हैं। ऐसे में दिल्ली सरकार के साथ ही दिल्ली के तीनों नगर निगमों को भी पूरी इच्छाशक्ति के साथ प्रयास करने चाहिए। तत्काल योजना बनाकर मानसून आने से पहले ही दिल्ली के विभिन्न इलाकों में अत्याधुनिक तकनीक वाले वाटर हार्वेस्टिंग पिट तैयार करवा दिए जाने चाहिए। यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इनका रखरखाव ठीक ढंग से हो। इसके लिए जो एजेंसी इसे तैयार करे उसे इसकी देखरेख का दायित्व भी सौंप दिया जाना चाहिए। इससे जहां तकनीकी रूप से दक्ष लोग इसका रखरखाव करेंगे, वहीं आगे कुछ वर्षों तक इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा। दिल्ली सरकार और नगर निगमों को वर्षा जल संचयन के लिए बनाए गए नियमों का कड़ाई से पालन कराने के लिए अपने तंत्र को और मजबूत करना चाहिए। इस मामले में लापरवाही बरत रहे लोगों को दंडित किया जाना चाहिए। सरकार और नगर निगमों को वर्षा जल संचयन के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए भी योजना बनानी चाहिए और उसे अमल में लाना चाहिए। वर्षा जल संचयन सभी का दायित्व है, ऐसे में सरकार और सरकारी एजेंसियों के साथ ही दिल्लीवासियों को खुद भी निजी स्तर पर प्रयास करने चाहिए। सब मिलकर प्रयास करेंगे तो निश्चित ही सूरत बदलेगी।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]