प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य के दौरे से पहले जम्मू के व्यस्त क्षेत्र में एक पुलिसकर्मी से बंदूक छीने जाने के मामले में अभी तक मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी न होना चिंता का विषय है। आतंकवादियों की हमेशा यह कोशिश रहती है कि जब जम्मू-कश्मीर में किसी बड़े नेता का आगमन होता है तो वे अपनी मौजूदगी दर्शाए। इसी कड़ी के तहत आतंकवादियों ने शहर के व्यस्त तवी पुल के निकट कांस्टेबल की आंखों में मिर्च पाउडर फेंक कर उससे एके 47 राइफल छीन लेने की वारदात को अंजाम दिया, जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बनी हुई है। बेशक दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन अभी तक मास्टरमाइंड आमिर के न पकड़े जाने से सुरक्षा एजेंसियों की पोल खुल गई है। पकड़े गए गिरोह के दो सदस्यों से जाहिर हो गया है कि प्रधानमंत्री के नरेंद्र मोदी के दो अप्रैल के जम्मू दौरे से पहले किसी बड़ी वारदात को अंजाम देकर राष्ट्रविरोधी तत्व अपनी उपस्थिति दर्ज करवाना चाहते थे। सुरक्षा एजेंसियों को इस वारदात को हल्के में नहीं लेना चाहिए। एके 47 जैसे घातक हथियार छीनने के मामले में सुरक्षा एजेंसियों को इसकी बरामदगी के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। अन्यथा, ये आतंकवादी जम्मू संभाग में बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि राइफल छीनने के मामले में बेशक पुलिस दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है और इनसे पूछताछ में यह जाहिर हो गया है कि इनके तार कश्मीर से जुड़े हुए हैं। कश्मीर में सुरक्षाबलों से हथियार छीनने की कई वारदातें सामने आ चुकी है, लेकिन जम्मू शहर में इस तरह की वारदात को कतई हल्के में न लिया जाए, क्योंकि आतंकवादियों की कोशिश है कि जम्मू संभाग में किसी वारदात को अंजाम देकर यह दर्शाया जाए कि हालात केवल कश्मीर में ही खराब नहीं बल्कि जम्मू में भी है। इसे सुरक्षा एजेंसियों की चूक ही कहा जाएगा कि यह राष्ट्रविरोधी तत्व जम्मू संभाग में काफी समय से रह रहे थे, लेकिन उनके बारे में किसी को कानोंकान खबर नहीं हुई। सुरक्षा एजेंसियों को यह डर है कि कहीं ये राष्ट्रविरोधी तत्व किसी बड़ी वारदात को अंजाम न दे दें। कई बार आतंकवादी हड़बड़ाहट में किसी बड़ी वारदात को भी अंजाम दे कर अपने नापाक मंसूबे में कामयाब हो जाते हैं।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]