सरकार प्राकृतिक स्रोतों को पुनर्जीवित करे और यमुना की सफाई के लिए व्यावहारिक कार्ययोजना बनाकर उसपर अमल करे

गर्मी बढऩे और पेयजल किल्लत की समस्या के बीच हरियाणा द्वारा दिल्ली को पानी की आपूर्ति घटा देना गंभीर चिंता का विषय है। पिछले कुछ दिनों से हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से कम पानी छोड़े जाने के कारण राजधानी में यमुना नदी का जलस्तर गिरता जा रहा है। इससे दिल्ली के जल शोधन संयंत्रों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है, जिससे पेयजल की समस्या पैदा होना लाजिमी है। इसके समाधान के लिए उपमुख्यमंत्री ने दिल्ली के मुख्य सचिव को हरियाणा सरकार से बात करने के निर्देश दिए हैं, जिसे एक उचित कदम कहा जा सकता है। लेकिन गर्मी के दिनों में हर साल होने वाली पानी की समस्या का स्थायी समाधान ढूंढे जाने की आवश्यकता है। यह सही है कि यमुना के जल को लेकर दिल्ली को हरियाणा की ओर देखना पड़ता है, लेकिन दिल्ली सरकार गर्मी शुरू होने से पहले ही यह सुनिश्चित करे कि हरियाणा से पानी की आपूर्ति कम न होने पाए।
दिल्ली सरकार को यमुना की सफाई व अन्य प्राकृतिक जलस्रोतों के संरक्षण पर भी ध्यान देना चाहिए। यमुना की सफाई के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाने और करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा गया, लेकिन यमुना मैली ही रह गई। दिल्ली में झील, तालाब, कुएं व बावड़ी समेत एक हजार से अधिक जलस्रोत हैं। यह निराशाजनक ही है कि इनमें से 60 फीसद अवैध निर्माण और रखरखाव के अभाव के चलते सूख चुके हैं। यही नहीं, शेष 40 फीसद प्राकृतिक जल स्रोतों की दशा में भी उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ है। अवैध निर्माण, अतिक्रमण, रखरखाव के अभाव और सीवर का पानी इनमें जाने से इनके अस्तित्व पर भी संकट मंडरा रहा है। ऐसे में जरूरी है कि दिल्ली सरकार इस गंभीर समस्या को समझते हुए त्वरित कदम उठाए और खत्म होने की कगार पर पहुंच गए प्राकृतिक जल स्रोतों को बचाने के हरसंभव प्रयास करे। वहीं, दीर्घकालिक योजना बनाकर खत्म हो चुके प्राकृतिक स्रोतों को पुनर्जीवित करे और यमुना की सफाई के लिए व्यावहारिक कार्ययोजना बनाकर उसपर अमल करे।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]