इंट्रो
चंबा में रावी के किनारे ट्रैक्टर लेकर गए नौ लोग सात घंटे तक फंसे रहे। जरूरत इस बात की है इस घटना की पुनरावृत्ति न हो पाए।
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गर्मी जब शरीर झुलसा रही हो तो उस समय हर कोई चाहता है कि कहीं से राहत मिल जाए। आसमान से बूंदें बरस पड़ें। बारिश का खुशनुमा मौसम अच्छा लगता है, पर पहाड़ों पर हो रही मूसलधार बारिश कई जगह प्रदेश के लोगों के लिए मुसीबत बन रही है। विशेषकर नदी-नालों और खड्डों के किनारे रह रहे लोगों के लिए। इस बरसात में अभी मुश्किल से दो-तीन बड़ी बारिशें हुई हैं। इस दौरान चंबा में नदी-नालों का पानी बड़ा नुकसान कर चुका है। इसमें वाहनों के बहने से लेकर साथ लगती जमीन के बांध में पहुंच जाना तक शामिल है। बाढ़ के पानी के कारण कई बीघा जमीन का हमेशा के लिए नामोनिशान मिट चुका है। बाढ़ के पानी के कारण कुछ लोगों की जान तक जा चुकी है। मंगलवार देर शाम चंबा में नौ लोग रावी नदी का जलस्तर बढऩे के कारण फंस गए। ये लोग सात घंटे से ज्यादा समय तक नदी के बीच में फंसे रहे। गनीमत यह रही कि इनको बीच में खुद को बचाने के लिए ऊंची जगह मिल गई। वहां पर ये लोग ट्रैक्टर लेकर गए थे। खुद को ट्रैक्टरों पर चढ़कर एक तरह से नया जीवन लेकर आए। असल में ये लोग चार ट्रैक्टरों को लेकर नदी के किनारे गए थे। खनन पर प्रतिबंध के कारण ट्रैक्टर वाले आजकल नदियों और खड्डों के किनारे लगने वाली रेत-बजरी को निकालने का जोखिम उठा रहे हैं। ऐसा प्रदेश में करीब-करीब हर जगह हो रहा है। ये लोग ट्रैक्टर भर रहे थे। इस बीच नदी का पानी बढ़ गया। पानी इनके दोनों तरफ से गुजर गया। ये बीच में थोड़ी ऊंची जगह पर चले गए। खुद को बचाने के लिए आवाजें लगाईं तो आसपास के लोगों ने देखा। इस बीच अग्निशमन विभाग को सूचना दी गई। प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए। हर कोई उनको हौसला ही दे सकता था। बढ़ते जलस्तर के बीच में जाना जान को जोखिम में डालने जैसा ही था। अंधेरे ने मुसीबत ज्यादा बढ़ाई। अच्छी बात यह रही कि समझदारी से काम लिया गया। नदी पर बने डैम में पानी रोका गया। तब जाकर कड़ी मशक्कत के बाद ये लोग सुरक्षित निकाले गए। इस मामले से यह पोल खुली कि लोग खुद को खतरे में डालकर रेत-बजरी निकाल रहे हैं। चंबा प्रशासन ने नदी को जाने वाले अस्थायी रास्ते तुरंत बंद करने की बात कही है। क्या चंबा मामले से बाकी जिला और उपमंडल प्रशासन भी सबक लेंगे?

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]