उम्मीद की जा रही थी कि पंजाब सरकार मंत्रिमंडल की बैठक में किसानों की कर्ज माफी को लेकर कोई फैसला करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और किसानों का इंतजार बढ़ गया।

पंजाब के किसानों को कर्ज से मुक्त होने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। उम्मीद की जा रही थी कि गत दिवस की कैबिनेट बैठक में इस संबंध में प्रदेश सरकार कोई फैसला करेगी, लेकिन सरकार ने अभी इस मामले में देखो और इंतजार करो की रणनीति अपनाने का फैसला किया है। सरकार अभी इस मुद्दे पर और मंथन करना चाहती है और ऐसा हल निकालना चाहती है, जो पूरे देश में मिसाल बन सके। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के किसानों की बेसब्री बढ़ती जा रही है। इसके पीछे कारण भी साफ है। वर्तमान सत्ताधारी दल ने चुनाव से पूर्व किसानों से वादा किया था कि सरकार बनने पर उनके कर्ज माफ कर दिए जाएंगे और इसके लिए बाकायदा हजारों की संख्या में किसानों से फार्म भी भरवाए गए थे। लेकिन सत्ता में आने के बाद प्रदेश सरकार के लिए खाली खजाने को देखने हुए यह इतना आसान प्रतीत नहीं हो रहा है। सरकार किसानों का कर्ज तभी माफ कर पाएगी, जब वह स्वयं बैंकों को किसानों के कर्ज की रकम का भुगतान करेगी। वहीं प्रदेश में किसानों की स्थिति दिनोंदिन खराब होती जा रही है। शायद ही कोई दिन ऐसा गुजरता है, जब प्रदेश के किसी न किसी हिस्से से किसी किसान के आत्महत्या करने की घटना सामने न आती हो। हालात यह हैं कि प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद से 56 किसान कर्ज के कारण जान दे चुके हैं। वर्तमान में जो परिदृश्य देश में, खासकर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में बना हुआ है, उसे देखते हुए पंजाब में भी हालात खराब होने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है। इसलिए यह आवश्यक है कि समय रहते किसानों की मांगों को पूरा करने के उपाय ढूंढ लिए जाएं। केंद्र सरकार को भी चाहिए कि वह किसानों की परेशानी दूर करने में प्रदेश सरकार की मदद करे। साथ ही किसानों को भी संयम से काम लेना होगा। उन्हें यह समझना होगा कि आत्महत्या किसी समस्या का हल नहीं है, अपितु इससे समस्या और बढ़ती ही है। प्रदेश में नई सरकार का गठन हुए अभी कुछ ही समय हुआ है, सरकारी खजाने की स्थिति भी बदहाल है, ऐसे में सत्ताधारी दल को कुछ और समय देना चाहिए। सरकार को भी चाहिए कि वह इस मुद्दे को और गंभीरता से ले और जितना जल्दी हो सके समस्या के निराकरण के लिए ठोस कदम उठाए, ताकि प्रदेश का अन्नदाता एक बार फिर खुशहाल जीवन जी सके।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]