राज्य सरकार का पहला बजट कई मायनों में अलग है। इसमें सरकार ने अपनी प्राथमिकताएं बताई हैं तो पांच साल की दशा व दिशा का रूट भी दिखाया है।
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उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत से सत्तासीन हुई भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने गुरुवार को अपना पहला बजट पेश किया। इसके जरिये सरकार ने एक प्रकार से पांच साल का विजन डाक्यूमेंट प्रस्तुत किया है, जिसमें 'डबल इंजन' दरकार की छाप भी साफ झलकती है। बजट में सरकार ने अपनी प्राथमिकताओं का खुलासा किया है। इसमें केंद्र सरकार की मदद से तमाम योजनाएं संचालित करने की बात कही गई है तो ढांचागत विकास पर भी अधिक जोर दिया गया है। डिजिटल बजट पेश कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को पूरी तरह साकार करने का निश्चय किया गया है। साथ ही जैव विविधता के लिए मशहूर उत्तराखंड को इको फ्रैंडली बनाने का लक्ष्य भी रखा गया है। 'सबका साथ सबका विकास' की अवधारणा पर केंद्रित बजट का आधार मजबूत अद्योसंरचना, आर्थिक विकास व औद्योगिकीकरण है। कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को मूर्त रूप देने के मद्देनजर रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई और दवाई की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ ही हर वर्ग को सुविधाएं उपलब्ध कराने को सरकार ने अपनी प्राथमिकताओं में रखा है। पलायन का दंश झेल रहे राज्य में रोजगार के अवसर सृजित करने को औद्योगिक विकास पर फोकस किया है, साथ ही खेती-किसानी को तवज्जो दी गई है। राज्य में बंजर भूमि को फिर से आबाद करने के लिए विशेष कार्ययोजना बनाने के साथ ही कृषि क्षेत्र को रोजगारोन्मुखी व लाभकारी बनाने को प्रभावी कदम उठाने की बात बजट में है। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के प्रति सरकार ने प्रतिबद्धता जताई है। दफ्तरों में फाइलों का समयबद्धता के साथ निस्तारण हो, इसके लिए ई-फाइलिंग व्यवस्था लागू करने की बात कही गई है। राज्य में निवेश एवं रोजगार बढ़ाने के साथ ही महिला सुरक्षा एवं सशक्तीकरण, शिक्षा, पर्यटन, आधारभूत संरचना विकास जैसे मसलों के लिए समुचित प्रावधान किए गए हैं। यही नहीं, मूलभूत सुविधाओं के विस्तार बात भी बजट में कही गई है। सरकार ने राज्य के बिजली से वंचित करीब सवा लाख परिवारों को जल्द बिजली मुहैया कराने का लक्ष्य रखा है। बजट में गांवों के साथ ही नगरीय क्षेत्रों को मजबूत करने की मंशा बजट में झलकती है। यही नहीं, आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में प्रभावी एवं ठोस कदम उठाए जाएंगे। पर्यटन, परिवहन, कौशल विकास, श्रम सेवायोजन, स्टार्टअप, गरीबों को आवास, स्वच्छ पेयजल, पर्यावरण समेत अन्य बिंदुओं पर सरकार ने अपनी कार्ययोजना का खाका रखा है। सरकार ने जो इरादा जाहिर किया है और कदम बढ़ाए हैं, वे कार्यरूप में दिखने चाहिए। हालांकि, सरकार जिस प्रकार खाका खींचा है, उसके परिणाम जल्द तो नहीं दिखाई देंगे, लेकिन प्लानिंग इस तरह से हो कि कम से कम दो साल में इसका अक्स धरातल पर दिखाई दे।

[  स्थानीय संपादकीय : उत्तराखंड  ]