ब्लर के लिए- तनाव कम करने को दिल्लीवासियों को अपने स्तर पर प्रयास करने होंगे, पुलिस भी अपनी कार्यप्रणाली की समीक्षा करे

दिल्ली में मामूली बातों पर आपा खोने और हिंसक व्यवहार करने की बढ़ती घटनाएं गंभीर चिंता का विषय हैं। आए दिन सामने आ रही ऐसी घटनाएं दर्शाती हैं कि लोग किस तरह तनाव में जी रहे हैं, उनमें जरा भी धैर्य नहीं है और वे दूसरों की छोटी सी गलती को भी बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हैं। किसी सभ्य समाज में लोगों का ऐसा व्यवहार अस्वीकार्य है। दक्षिणी दिल्ली में विगत सोमवार शाम नेब सराय में रहने वाले एक डॉक्टर की मालवीय नगर जाने के दौरान रोडरेज में पिटाई की गई। पांच-छह युवकों ने कार छू जाने को लेकर उनकी कार का शीशा तोड़कर उन्हें बाहर खींच लिया और इतनी पिटाई की कि वह बेहोश हो गए। ऐसी ही एक घटना मंगलवार को राजधानी के कंझावला इलाके में भी सामने आई, जब रास्ता देने को लेकर हुए विवाद में कार सवार चार बदमाशों ने मोटरसाइकिल सवार दो भाइयों को गोली मार दी। एक युवक की मौत हो गई, जबकि उसका भाई घायल हो गया। दिल्ली में विगत कुछ वर्षों में इस तरह की घटनाएं बढ़ी हैं, जो समाज में बढ़ रही ऐसी गलत प्रवृत्ति को दर्शाती हैं।
महानगर की तेज भागती जिंदगी और जल्दी-जल्दी सबकुछ पाने की होड़ के कारण बढ़ते तनाव के चलते दिल्लीवासियों में सहन करने की प्रवृत्ति खत्म होती जा रही है। पुलिस का डर न होना कोढ़ में खाज का काम कर रहा है। इसमें कोई शक नहीं कि लोगों में यदि पुलिस का खौफ हो, तो किसी की हत्या करना तो दूर की बात है, वे सड़क पर किसी से मारपीट से पहले भी कई बार सोचेंगे। लोगों की सुरक्षा पुलिस का दायित्व है। पुलिस को समय-समय पर अपनी कार्यप्रणाली की समीक्षा करनी चाहिए और अपनी खामियों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। अपराध छिपाने की कोशिश और मामले दर्ज न करने की प्रवृत्ति के चलते ही लोगों में पुलिस का खौफ नहीं रह गया है। स्थिति यह है कि पुलिसकर्मियों पर भी हमले होने लगे हैं। दिल्लीवासियों को तनाव कम करने के लिए अपने स्तर पर प्रयास करने चाहिए। लोगों को तनावमुक्त करने के लिए विभिन्न धार्मिक संस्थाओं को भी आगे आना होगा, तभी राजधानी बेहतर शहर बनेगी।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]