हरियाणा का बजट कई मायनों में अहम है। पहली बार बजट एक लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर गया है। बजट में प्रदेश के दीर्घकालीन विकास के साथ-साथ समाजिक क्षेत्र को भी पर्याप्त तवज्जो मिलती दी गई है। पहली बार प्रदेश के बजट में ट्रेन के मधुर स्वर भी सुनाई दे रहे हैं। प्रदेश में रेलवे ढांचागत विकास में हरियाणा और रेल मंत्रालय मिलकर काम कर रहे हैं। इसके लिए अलग से उपक्रम का गठन किया जा चुका है। कई लंबित परियोजनाओं पर काम शुरू भी हो चुका है और कुछ इस वर्ष से शुरू करने की तैयारी है। राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि कर सरकार घाटा कम करने में सफल रही है। ग्रामीण ढांचे की मजबूती के साथ-साथ सामाजिक विकास को तवज्जो देकर सरकार मानवीय पहलू सामने रख रही है। हरियाणा की अर्थव्यवस्था का सबसे मजबूत आधार ग्रामीण विकास है। कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों ने अर्थव्यवस्था का ढांचा मजबूत किया है। एक चिंता अभी भी सता रही है, वह है बढ़ता कर्ज। प्रदेश पर कर्ज पिछले सात साल में साढ़े तीन गुणा बढ़ चुका है। बढ़ते कर्ज पर नियंत्रण के लिए आवश्यक है कि सरकारी खर्च पर नियंत्रण हो। कर्मचारियों के वेतन व भत्तों का खर्च बढ़कर करीब 27 हजार करोड़ तक पहुंच चुका है। यूं कहें कि सरकार को कुल बजट का करीब एक चौथाई वेतन व भत्तों पर ही खर्च करना पड़ रहा है। भारी-भरकम वेतन व भत्तों के बावजूद कर्मचारी संगठन लगातार आंदोलनरत दिख रहे हैं। लघु उद्योगों के लिए सस्ती जमीन व सस्ती बिजली की अपेक्षा सब कर रहे थे। खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी इकाइयां रोजगार सृजन के क्षेत्र में भी नई उम्मीद पैदा कर सकती थी। हालांकि कौशल विकास के लिए औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्रों को तकनीकी रूप से सुदृढ़ करने का एलान वित्तमंत्री ने किया है। यहां प्रशिक्षित कुशल छात्रों के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर मिलें इसके लिए प्रयास करने होंगे।

[ स्थानीय संपादकीय : हरियाणा ]