राज्य सरकार ने शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेजों में प्राचार्यो व व्याख्याताओं की नियुक्ति में अभ्यर्थियों को मिलने वाले वेटेज का निर्धारण कर नियुक्ति का रास्ता खोल दिया है। अब इन पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो सकेगी। राज्य सरकार ने पहली बार इन संस्थानों में न केवल व्याख्याताओं का अलग कैडर बनाया था, बल्कि नियुक्ति नियमावली भी गठित कर ली थी। लेकिन वेटेज का निर्धारण नहीं होने से लंबे समय से नियुक्ति प्रक्रिया लटकी हुई थी। अब जरूरत प्राचार्यो व व्याख्याताओं के पदों पर शीघ्र बहाली प्रक्रिया पूरी करने की है। इसके लिए झारखंड लोक सेवा आयोग को भी तेजी से काम करना होगा।

नियुक्ति प्रक्रिया में बाद में कोई अड़चन न आए इसलिए गठित नियमावली की जांच कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने की आवश्यकता है, क्योंकि आनन-फानन में शुरू होनेवाली नियुक्ति प्रक्रिया में बाद में विवाद उत्पन्न होने का खतरा रहता है। जो भी हो वेटेज का निर्धारण कर राज्य सरकार ने इस ओर एक कदम आगे बढ़ाने का सराहनीय कार्य किया है। राज्य के सरकारी शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेज अभी तक उपेक्षित रहे हैं। इसी कारण इन कॉलेजों में कभी स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई। राज्य शिक्षा सेवा एवं अवर शिक्षा सेवा के योग्यता प्राप्त पदाधिकारियों को ही इस पद की जिम्मेदारी दी जाती रही।

इन कॉलेजों का काम राज्य में योग्य शिक्षक तैयार करना है। यदि इन कॉलेजों में ही शिक्षक नहीं रहेंगे तो योग्य शिक्षक तैयार करने की उम्मीद कैसे की जा सकती है? राज्य में योग्य और प्रशिक्षित शिक्षकों की भी भारी कमी है। इन कॉलेजों में व्याख्याताओं की नियुक्ति होने से इस समस्या से निजात मिल सकती है। यहां यह देखना भी महत्वपूर्ण होगा कि व्याख्याता नियुक्ति के लिए आवश्यक अर्हता प्राप्त अभ्यर्थी राज्य सरकार को मिल पाते हैं या नहीं, क्योंकि राज्य में एमएड की शिक्षा देने वाले संस्थानों की भारी कमी है।

राज्य सरकार को इस ओर भी ध्यान देना होगा। साथ ही शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में आधारभूत संरचनाओं के विकास की ओर भी राज्य सरकार को पहल करनी होगी। केंद्र सरकार शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत राज्य को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराती है। केंद्र द्वारा दी जानेवाली राशि के सही उपयोग की भी आवश्यकता है। कई बार यह देखने को मिला है कि केंद्र की राशि यहां खर्च ही नहीं होती। इस लापरवाही से बचने की जरूरत है।

[झारखंड संपादकीय]