राजधानी के जीवी मॉल में भीषण अग्निकांड ने एक बार फिर यह पोल खोल दी है कि राज्य के मॉल और अन्य बहुमंजिला इमारतें सुरक्षा नियमों की अनदेखी के कारण किस कदर असुरक्षित हैं। गनीमत यह रही कि अग्निकांड भोर में हुआ। इस वजह से कारोबारियों को सिर्फ संपत्ति का नुकसान हुआ। यह हादसा दिन में भीड़भाड़ के दौरान हुआ होता तो इससे जान-माल का अकल्पनीय नुकसान हो सकता था। राजधानी पटना सहित राज्य के सभी शहरों में सारे कायदा-कानूनों को धता बताकर जिस तरह बड़े-बड़े मॉल और अन्य बहुमंजिला भवन खड़े किए गए हैं, वहां हादसों की आशंका हमेशा मंडराती रहती है। ज्यादातर ऐसे भवन संकरी सड़कों के किनारे पार्किंग व अन्य सहूलियतों की व्यवस्था किए बगैर स्थापित कर दिए गए। देखा जाता है कि इन भवनों के सामने की सड़क पार्किंग के तौर पर इस्तेमाल होती है। इस हालत में वहां हमेशा रोड जाम की स्थिति रहती है। जहां तक फायर फाइटिंग प्रणाली का सवाल है, यह महज दिखावटी रहती है। यह जांच का विषय है कि जीवी मॉल में फायर फाइटिंग प्रणाली मौजूद होने के बावजूद आपदा के वक्त कारगर क्यों नहीं हुई? इसी के साथ राज्य के सभी आवासीय और व्यावसायिक बहुमंजिला भवनों के सुरक्षा प्रबंध की जांच कराई जानी चाहिए। यह यक्ष प्रश्न है कि सुरक्षा मानकों की पूर्ति के बगैर मॉल व आवासीय भवन कैसे संचालित होने लगते हैं? हादसे आगाह करके नहीं आते। वे हर बात बचने का मौका भी नहीं देते, लिहाजा शासन-प्रशासन को जीवी मॉल अग्निकांड हादसे से सबक लेकर सचेत हो जाना चाहिए। यह आवश्यक है कि ऐसे सभी भवनों के सुरक्षा इंतजाम की न सिर्फ गहन जांच की जाए बल्कि मॉक ड्रिल करके इन्हें कसौटी पर भी कसा जाए। अग्निशमन विभाग की भी जिम्मेदारी है कि गर्मी में अगलगी की आशंका देखते हुए अपने बचाव प्रबंध दुरुस्त रखे। यह समीक्षा भी होनी चाहिए कि अग्निशमन विभाग के पास बहुमंजिला भवनों को आपदा से बचाने के लिए अपेक्षित संसाधन हैं या नहीं। हर स्तर पर सजगता और एहतियात से अगलगी के हादसे टाले जा सकते हैं। बहुमंजिला भवनों के सुरक्षा इंतजाम की समीक्षा के लिए समयबद्ध कार्ययोजना बननी चाहिए ताकि जीवी मॉल जैसे अगले हादसे की आशंका को टाला जा सके।

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सुरक्षा मानकों की अनदेखी करके बहुमंजिला आवासीय और व्यावसायिक भवनों का संचालन 'अपराध' है। ऐसा करने वाले हमेशा लोगों की जिंदगी खतरे में रखते हैं। गनीमत रही कि जीवी मॉल अग्निकांड दिन में नहीं हुआ लेकिन तंत्र यूं ही बेपरवाह रहा तो यह उम्मीद नहीं रखनी चाहिए कि अगले बार भी ऐसा ही होगा।

[  स्थानीय संपादकीय : बिहार  ]