महिला सुरक्षा को लेकर दिल्ली सरकार और पुलिस को साथ मिलकर काम करने संबंधी दिल्ली हाई कोर्ट का निर्देश स्वागतयोग्य है, लेकिन अदालत का निर्देश यह भी दर्शाता है कि इस अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस में सामंजस्य नहीं है, यह गंभीर चिंता की बात है। यह एक निराशाजनक हकीकत है कि वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म कांड के पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी राजधानी महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है। यह यकीनन दिल्ली सरकार और पुलिस के उच्चाधिकारियों में इच्छाशक्ति की कमी को दर्शाता है। यदि महिला सुरक्षा के मसले पर थोड़ी भी गंभीरता दर्शाई होती तो आज हालात काफी बेहतर होते।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े दर्शाते हैं कि महिला सुरक्षा के नाम पर दिल्ली की स्थिति अब भी देश के बड़े शहरों के मुकाबले बहुत खराब है। दुष्कर्म, अपहरण, छेड़छाड़ समेत महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले में दिल्ली का ग्राफ काफी ऊंचा है। ऐसे में यह जरूरी है कि दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस इस मामले में गंभीरता दिखाए और आपसी समन्वय से कुछ तात्कालिक उपाय करे, जिससे महिलाएं सड़कों या सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षित महसूस कर सकें। साथ ही दीर्घकालिक उपायों पर भी समयबद्ध तरीके से कार्य किया जाना चाहिए। जैसा कि अदालत ने निर्देशित किया है इस कार्य में दिल्ली सरकार और पुलिस का आपसी समन्वय बहुत आवश्यक है। दोनों मिलकर एक ही दिशा में काम करेंगे तो यकीनन बेहतर नतीजे प्राप्त होंगे।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]