चांदनी चौक स्थित 150 साल पुराने ऐतिहासिक पुस्तकालय का अंधेरे में डूबना दुर्भाग्यपूर्ण व्यवस्था का प्रतीक है। पुस्तकालय में बिजली नहीं होने की वजह बिल का भुगतान नहीं करना है। बिजली के बिना पुस्तकालय में पीने के पानी और शौचालय का भी संकट गहरा गया है। पिछले वर्ष जून में भी 15 दिनों तक यह पुस्तकालय अंधेरे में रहा था। बिजली के अभाव में यहां पढऩे के लिए आने वाले भी शाम होते ही चले जा रहे हैं। सवाल यह है कि बिजली बिल का भुगतान वक्त पर क्यों नहीं हुआ? इस बारे में दलील दी जा रही है कि नगर निगम से फंड जारी होने में देरी के कारण यह समस्या पैदा हुई। इससे साफ है कि नगर निगम के अधिकारियों को छात्रों की तनिक भी परवाह नहीं है। उन्हें यह कतई चिंता नहीं है कि उनकी गलती की वजह से परीक्षा के इस मौसम में विद्यार्थियों की तैयारी प्रभावित होगी। इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान होनी चाहिए और उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही निगम प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस तरह की घटनाएं भविष्य में न हो। इसके लिए जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।
गौर करने वाली बात यह है कि पिछले साल पुस्तकालय भवन ने 100 साल पूरे किए। उस दौरान बड़े उत्सव का आयोजन हुआ। हाल ही में पुस्तकालय के भवन को हेरिटेज स्मारकों में भी शामिल किया गया है। यानी जिसे हम धरोहर बता रहे हैैं उसी की दुर्गति कर रहे हैैं। साफ है कि किसी को भी इसकी फिक्र नहीं है। यह सच है कि नगर निगम को बिजली बिल का भुगतान करना चाहिए, लेकिन क्या बिजली कंपनी को भी छात्रों के हित में यहां की बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं करनी चाहिए? क्या समाज को लेकर कोई जिम्मेदारी इस कंपनी की नहीं है? सामाजिक कार्यों के लिए तो यह कंपनियां लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर देती हैैं, लेकिन जब सही में काम करने की बात आती है तो पल्ला झाड़ लेती हैैं। इस बारे में कंपनी के अधिकारियों को भी सोचना चाहिए और जल्द से जल्द यहां बिजली आपूर्ति शुरू करनी चाहिए। ऐसा इसलिए कि इस पुस्तकालय में हजारों दुर्लभ पांडुलिपियां हैैं। साथ ही कई किताबें 16वीं शताब्दी की हंै। यानी यह हमारी विरासत का हिस्सा है। नगर निगम ही नहीं, दिल्ली सरकार को भी इस पुस्तकालय की व्यवस्था को लेकर सोचना चाहिए और कोई ऐसा नियम बनाना चाहिए जिससे धरोहर के रूप में शामिल इमारतों, पुस्तकालयों आदि को इस तरह की परेशानी न झेलनी पड़े।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]