बिहार विधानमंडल का बजट सत्र शुरू होने के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने इसके सफल संचालन के लिए रणनीति बनाई थी। उद्देश्य था कि जनहित में ज्यादा से ज्यादा कार्यों का निष्पादन हो। राज्य हित में अपने विचारों से विधायक सदन को अवगत कराएं। अच्छे विचार रखने और सदन में सलीके से उसे प्रस्तुत करने वाले विधायकों की एक सूची बनाने की भी योजना बनाई गई। यहां तक कि विधायकों के रवैये और पहनावे पर भी सख्ती की बात कही गई थी। जब सत्र की शुरुआत हुई तो किसी न किसी मुद्दे पर माहौल गर्म होता रहा। अब हालात टेबल-बेंच पटकने तक आ गए। आमजन के खर्चे पर चलने वाले विधानमंडल में अब जो दृश्य उपस्थिति हो रहे हैं, जनहित में नियम-कानून बनाने वाले इस मंदिर के प्रति लोगों के मन में निराशा घर कर रही है। प्रधानमंत्री के चित्र के साथ महागठबंधन सरकार में कांग्र्रेस कोटे के एक मंत्री ने जिस प्रकार अशोभनीय हरकत की, वाकई उसकी भरपूर निंदा की जानी चाहिए। पूर्णिया की एक सभा के वायरल हुए वीडियो में ऐसा लग रहा है कि खुले मंच से पूर्व नियोजित योजना के तहत इस कृत्य को अंजाम दिया गया। उधर मंत्री भाषण देते रहे, इधर उनके समर्थक बगल में रखी प्रधानमंत्री की तस्वीर पर चप्पल बरसाते रहे। यह दृश्य देखने के बाद वाकई लोगों के जेहन में लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों के प्रति एक जिम्मेदार पद पर आसीन व्यक्ति के बारे में अच्छी धारणा नहीं बनती। राजनीतिक विरोध की भी अपनी मर्यादा है। इसके उल्लंघन के कई उदाहरण मिल सकते हैं, लेकिन एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के उकसावे में आकर ऐसे कृत्य को अंजाम दिया जाए तो मामला ज्यादा गंभीर हो जाता है। बुधवार को विधान परिषद में इस कृत्य का प्रतिकार दिखा। विपक्ष के सदस्यों का आक्रोश इस कदर था कि उन्होंने रिपोर्टर टेबल को पलट दिया और ऑर्डर पेपर फाड़ दिए। हालांकि यह व्यवहार भी शोभनीय नहीं। मंत्री को हटाने की मांग को लेकर सदस्यों ने इतना शोर मचाया कि सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। उधर, मंत्री का कहना है कि उस दिन वे मौके पर नहीं थे। वायरल वीडियो के संबंध में कहा, इसपर मेरा विश्वास नहीं। कहा यह जा रहा है कि उस दिन मंत्री की सभा में अंचलाधिकारी और थाना प्रभारी भी मौजूद थे। इस मामले की गंभीरता से जांच होनी चाहिए। प्रोटोकॉल के तहत वहां मौजूद अधिकारियों से गहन पूछताछ की जानी चाहिए। विपक्ष के सदस्यों ने मंत्री को हटाए जाने तक विरोध की चेतावनी दी है। कोशिश हो कि इससे बजट सत्र प्रभावित न हो।

हाईलाइटर
प्रधानमंत्री की तस्वीर के साथ अशोभनीय हरकत के वायरल हुए वीडियो की गहनता से जांच होनी चाहिए। विपक्ष के सदस्यों को भी यह ख्याल रखना चाहिए कि उनके विरोध से बजट सत्र प्रभावित न हो। मंत्री को हटाए जाने की मांग को लेकर लोकतांत्रिक तरीके से भी आवाज उठाई जा सकती है।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]