श्री बाबा अमरनाथ यात्र के शुरू होने से पहले जम्मू के त्रिकुटा नगर इलाके में प्रतिष्ठापित हनुमान की मूर्ति को खंडित किए जाने के पीछे एक बड़ी साजिश से इन्कार नहीं किया जा सकता। कुछ शरारती तत्वों की कोशिशें होती हैं कि राज्य में सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ कर राजनीतिक रोटियां सेकी जाए। मूर्ति खंडित किए जाने के बाद लोग प्रदर्शन पर उतारू हो गए। कुछ हिंदूू संगठनों ने भी प्रदर्शन कर अपने गुस्से का इजहार किया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए स्थिति को तो संभाल लिया, लेकिन पुलिस को धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को और बढ़ाने की जरूरत है।

कश्मीर में पहले ही आतंकवादी घटनाएं बढ़ी हैं। सीमा पार से आए दिन गोलाबारी की घटनाओं में इजाफा हुआ है। इस समय पुलिस का ध्यान 29 जून से शुरू हो रही अमरनाथ यात्र को सुचारु रूप से शुरू करने पर लगा हुआ है। ऐसे में शरारती तत्वों की कोशिश होती है कि शांत जम्मू के माहौल को बिगाड़ा जा सके। विगत वर्ष भी अमरनाथ यात्र शुरू होने से पहले शहर के जानीपुर और नानक नगर इलाकों में मंदिर में रखी मूर्तियों से बेअदबी की घटनाएं सामने आई थीं। ऐसी घटना फिर से न हो इसके लिए प्रशासन को सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने होंगे। लोगों को भी स्थिति की गंभीरता को समझना होगा।

लोगों को भी चाहिए कि वे शरारती तत्वों के मंसूबों को समझें। ऐसी किसी भी स्थिति में विवेक से काम ले और पुलिस को जांच करने में सहयोग करें। लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि वैष्णो देवी की यात्र के बाद अमरनाथ यात्र राज्य में होने वाली सबसे बड़ी यात्र है, जिसमें देश विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेने आते हैं। अगर यात्र में कोई विघ्न पड़ जाए तो श्रद्धालु भी यात्र करने से पहले दो बार सोचता है। यात्र में अगर विघ्न-बाधाएं आएंगी तो निश्चित रूप से इसका असर राज्य की आर्थिक व्यवस्था पर भी पड़ेगा, क्योंकि राज्य की अर्थ व्यवस्था धार्मिक पर्यटन उद्योग पर ही अधिक टिकी हुई है।

लोगों के रोजगार का भी साधन है। ऐसे समय का लोग वर्ष भर इंतजार करते हैं। ऐसे में हर व्यक्ति को शरारती तत्वों की चाल को समझना होगा। आखिर किसी भी तरह का नुकसान हमरे लिए कठिनाई ही बढ़ाएगा। मुहल्ला कमेटियों को भी चाहिए कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में शांति और भाईचारा बनाने के लिए बैठकें करें और लोगों को शांति बनाए रखने पर जोर दें।

[जम्मू कश्मीर संपादकीय]