केदारनाथ में हवाई कंपनियों की मनमानी न केवल यात्रियों की परेशानी का सबब बन रही हैं बल्कि इससे प्रदेश की छवि भी धूमिल हो रही है।
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केदारनाथ धाम में हवाई कंपनियों की मनमानी किसी भी लिहाज से सही नहीं ठहराई जा सकती। जिस प्रकार से कंपनियां नियमों को ताक पर रख कर हवाई सेवा का संचालन कर रही हैं, उससे कभी भी किसी हादसे की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता। यह स्थिति तब है जब स्वयं नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) कुछ समय पहले ही इन कंपनियों को नियमानुसार हवाई सेवाओं के संचालन को निर्देशित कर चुका है। हवाई कंपनियों के इस मनमाने रवैये से न केवल यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है बल्कि प्रदेश की छवि भी खराब हो रही है। हवाई कंपनियों के इस तरह के रवैये की शिकायत कोई नई नहीं हैं। यही कारण भी रहा कि जब इस वर्ष इन हवाई कंपनियों ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया तो पहले डीजीसीए ने इन्हें अनुमति प्रदान नहीं की। इससे यात्रा पर आने वाले यात्रियों को खासी परेशानी भी उठानी पड़ी। यात्रियों के बढ़ते दबाव को देखते हुए डीजीसीए के अधिकारियों ने मौका मुआयना कर हवाई कंपनियों को मानकों को पूरा करते हुए नियमानुसार हवाई सेवा संचालन के निर्देश दिए। मौके का फायदा उठाते हुए डीजीसीए से अनुमति मिलने के बाद हवाई कंपनियों ने मानकों को पूरा करने की जहमत तक नहीं उठाई। यहां तक कि यात्रियों से अधिक किराया वसूलने से भी ये कंपनियां नहीं चूक रही हैं। मामले की जांच हुई तो अब सारी हकीकत सामने आई है। स्थिति यह है कि यात्रियों के वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। निर्धारित दरों से महंगे टिकट बेचे जा रहे हैं। कंपनियों के कार्यालय में यात्रियों के लिए वेटिंग रूम नहीं हैं। यात्रा में इस्तेमाल किए जा रहे हेलीकॉप्टर भी काफी पुराने हैं। यहां तक कि ये निर्धारित ऊंचाई से काफी नीचे उड़ान भर रहे हैं। यह स्थिति तब है जब एनजीटी भी इस संबंध में प्रदेश सरकार को चेतावनी दे चुका है। बावजूद इसके हेली कंपनियों की मनमानी से ऐसा जाहिर होता है कि उन्हें सरकार और विभाग का कोई भय नहीं है। इससे सरकार व नागरिक उड्डयन विभाग की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। हवाई कंपनियां भले ही डीजीसीए के नियमों से संचालित होती हैं लेकिन प्रदेश में उन पर सरकार के नियम लागू होते हैं। जाहिर है कि इन कंपनियों को इनके अनुपालन में कहीं न कहीं ढील दी जा रही है। यदि ऐसा नहीं है तो फिर लगातार शिकायतों के बावजूद क्यों हेली कंपनियों की मनमानी पर लगाम नहीं लग पाई है। सरकार को इस मसले को गंभीरता से लेने की जरूरत है। इसके लिए सरकार को हेली संचालकों से नियमों का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करनी होगी।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तराखंड ]