मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इस घोषणा से राज्य के लाखों मेधावी युवाओं ने राहत की सांस ली होगी कि प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने के लिए इनका पैटर्न ऑनलाइन किया जाएगा। बिहार कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं में पेपर लीक का भंडाफोड़ होने के बाद मौजूदा प्रणाली में आमूलचूल बदलाव की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। यह घोर दुर्भाग्यपूर्ण एवं निराशाजनक है कि पिछले साल बिहार बोर्ड तथा इस साल बीएसएससी परीक्षाओं की धांधली में इन संस्थाओं के सर्वोच्च अधिकारी लिप्त पाए गए। इसे ध्यान में रखते हुए ऐसी प्रणाली अख्तियार करना जरूरी हो गया है जिसमें कोई 'सूराख' न हो। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शुरू से इन मामलों को लेकर संवेदनशील रहे। उन्होंने तमाम दबाव व अवरोध को दरकिनार करके दोनों प्रकरणों में जांच एजेंसियों को स्वतंत्रतापूर्वक काम करने की छूट दी। इसी का सुफल है कि बिहार बोर्ड तथा बिहार कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्षों और सचिवों सहित कई दर्जन घोटालेबाज गिरफ्तार करके जेल में डाले गए। इनमें अधिसंख्य को अब तक जमानत नहीं मिली है। इसके अगले चरण के रूप में मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि प्रतियोगी परीक्षाओं को ऑनलाइन किया जाएगा ताकि ऐसी गड़बडिय़ों की गुंजाइश ही न रहे। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए पूरी दुनिया में अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की जा रही है। अब बिहार सरकार द्वारा भी ऐसे उपायों को अंगीकार करना सराहनीय है। बेशक इसके शानदार परिणाम होंगे। किसी भी भूभाग के विकास के लिए जरूरी है कि वहां की श्रेष्ठतम मेधा को विकास की प्रक्रिया में भागीदारी करने का अवसर मिले। इसके लिए आवश्यक है कि राज्य सेवाओं में मेधावी अभ्यर्थियों का ही चयन हो। बिहार बोर्ड मेरिट घोटाला तथा बिहार कर्मचारी चयन आयोग पेपर लीक प्रकरण मेधावी अभ्यर्थियों को हतोत्साहित करने वाले साबित हुए। बिहार बोर्ड ने ऐसे छात्र-छात्राओं को टॉपर बना दिया था जिन्हें अपने विषयों के नाम तक पता नहीं थे। बिहार कर्मचारी चयन आयोग परीक्षा में तो सारी हदें टूट गईं। परीक्षा से पहले ही सारे प्रश्न-उत्तर वाट्सएप पर वायरल हो गए। संतोष की बात है कि राज्य सरकार और जांच एजेंसियों ने दृढ़तापूर्वक कार्रवाई की। ये प्रकरण अब न्यायालय के सिपुर्द हैं। अब राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो सकें, ऐसे इंतजाम किए जाएं। मुख्यमंत्री की घोषणा इस दृष्टि से उम्मीद जगाने वाली है। नई प्रणाली जितनी शीघ्र लागू कर दी जाए, उतना ही राज्य के हित में होगा। जब तक नई व्यवस्था क्रियान्वित न हो, तब तक सभी प्रतियोगी परीक्षाएं स्थगित रखी जानी चाहिए।
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भ्रष्टाचार की इंतिहा ने राज्य की शिक्षा व परीक्षा प्रणाली को मजाक बना दिया। बिहार बोर्ड मेरिट घोटाला तथा बीएसएससी पेपर लीक मामलों से राज्य की बहुत बदनामी हुई। भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं को ऑनलाइन किया जाना सही दिशा में उठाया गया कदम है।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]