पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को दो दिन पूर्व संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मणिपुर को लेकर काफी उम्मीद थी। क्योंकि, 2012 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल ने मणिपुर में सात सीटें जीत कर सब को चौंका दिया था। त्रिपुरा व मणिपुर में मिले वोट तृणमूल को राष्ट्रीय दल का दर्जा दिलाने में अहम रहे थे। परंतु, इस दफा मोदी लहर पर सवार भाजपा ने तृणमूल की सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। साथ ही पार्टी को तोडऩे में माहिर तृणमूल पर भाजपा ने 'जैसा को तैसा' वाली कहावत को चरितार्थ कर दिया। दलबदल को अनैतिक नहीं मानने वाली तृणमूल ने पश्चिम बंगाल से त्रिपुरा तक कांग्रेस, वामपंथी समेत कई पार्टियों में सेंधमारी कर अपनी स्थिति मजबूत की है। उसी तरह भाजपा ने मणिपुर में एक मात्र सीट पर जीतने वाले तृणमूल विधायक को तोड़ दिया। इसी के साथ तृणमूल मणिपुर में शून्य हो गई। भाजपा ने अन्य दलों व निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ तृणमूल के एक मात्र विधायक के साथ राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है। कांग्रेस दावा करती रही कि तृणमूल ने उन्हें समर्थन देने की बात कही है। परंतु, उससे पहले ही तृणमूल का एक मात्र विकेट भाजपा की झोली में जा गिरा। वैसे तो तृणमूल कांग्रेस को वर्ष 2012 में मणिपुर में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान अपने प्रदर्शन को एक बार फिर दोहराने की उम्मीद थी। वर्ष 2012 में अच्छा प्रदर्शन करते हुए तृणमूल राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर उभरी थी। हालांकि, बाद में तृणमूल के सारे विधायक या तो कांग्रेस में या भाजपा के पाले में चले गए थे। इस बार 60 सदस्यीय राज्य विधानसभा में तृणमूल 16 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी। उनमें से मात्र एक पर तृणमूल को जीत मिली और वह भी उनके हाथ से चली गई। तृणमूल नेतृत्व के अनुसार देश के पूर्वी क्षेत्र और पूर्वोत्तर में एक शक्तिशाली बल के तौर पर उभरने के लिए पार्टी के लिए मणिपुर बेहद अहम था। तृणमूल के नेताओं के अनुसार त्रिपुरा में तृणमूल मुख्य विपक्षी पार्टी है और मणिपुर में भी अगर पिछली बार की तरह हम यही स्थिति पा सके तो इससे हमारी पार्टी को मजबूती मिलेगी। परंतु, ऐसा संभव नहीं हो सका और वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वोत्तर में चार-पांच सीटें जीतने की उम्मीद धुल में मिल गई।
-------------------
(हाईलाइटर::: 2012 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल ने मणिपुर में सात सीटें जीत कर सब को चौंका दिया था। परंतु, इस दफा मोदी लहर पर सवार भाजपा ने तृणमूल की सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। साथ ही पार्टी को तोडऩे में माहिर तृणमूल पर भाजपा ने 'जैसा को तैसा' वाली कहावत को चरितार्थ कर दिया।)

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]