परीक्षा का दौर
पहली बार कुछ परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी कैमरों के जरिये नकल पर नुकेल कसी जा रही, लेकिन परीक्षाओं की उजली चादर पर नकल के धब्बे समय के साथ और गहरा रहे।
अंतत: हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की वार्षिक परीक्षाएं आरंभ हो गईं। ये परीक्षाएं विद्यार्थियों के भविष्य का निर्णायक पक्ष होती हैं इसलिए इनके प्रति उनमें और उनके अभिभावकों में इस दौरान चिंता से मिश्रित सक्रियता होती है। इधर बोर्ड भी अपने इस वार्षिक स्तंभ के लिए पूरी तैयारी में दिखता है। प्रदेश के 1846 परीक्षा केंद्रों पर सवा लाख से अधिक बच्चों ने जमा दो परीक्षा दी और पहले ही दिन नकल के करीब 44 मामले सामने आए। इस बार परीक्षाओं के संदर्भ में छात्रों के साथ-साथ अध्यापकगण भी सक्रिय हैं चूंकि पहली बार कुछ परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी कैमरों के जरिये नकल रोकने के कार्य को अंजाम दिया जा रहा है लेकिन दुखद यह है कि परीक्षाओं की उजली चादर पर नकल के धब्बे समय के साथ और गहरा रहे हैं, इस तथ्य के बावजूद कि अब प्रवेश परीक्षाओं का युग है और अंकों से अधिक विद्यार्थी का वास्तव में मेधावी होना ज्यादा मायने रखता है। शिक्षा बोर्ड ने अपने स्तर पर उड़नदस्ते बनाए हैं, शिक्षा विभाग ने अपने स्तर पर दस्ते बनाए हैं और उपमंडल अधिकारी नागरिक की सरपरस्ती में भी कुछ उड़नदस्ते काम करते हैं..इस सब के होते हुए भी नकल पर नकेल दूर की कौड़ी दिखती है। नकल जैसी बुराई को रोकने के लिए उड़नदस्तों को बनाना तो हल है ही, हिमाचल प्रदेश में इसके खिलाफ एक मानसिकता बनाने की आवश्यकता भी है। कैसा भविष्य तैयार कर लेगा प्रदेश यदि बैसाखियों पर चलने वाली पौध तैयार होगी। पाठशालाओं को अब ऐसे अध्यापकों की जरूरत है जो नकल के लिहाज से लोकप्रिय न हों, बल्कि जिन्हें निर्मम माना जाए। अभिभावकों को भी यह सोचना होगा कि अमुक अध्यापक को इसीलिए अच्छा न कहें कि वह परीक्षा में बच्चे की मदद करने को आतुर और प्रस्तुत रहता है। पूरा वर्ष पढ़ाने वाले शिक्षकों की संख्या अधिक होनी चाहिए। बच्चों को उचित और अनुचित का भेद समझाया जाए। उन्हें बताया जाए कि जीवन में सफलता के लिए अनुचित तरीके अपनाना सही नहीं है। बच्चों को भी चाहिए कि वे परीक्षा का डर मन में न बिठाएं। बच्चे मेहनत करें और तनावमुक्त होकर परीक्षा दें तो सफलता की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है। परीक्षा केंद्रों पर भी इस तरह का माहौल बनाने की जरूरत है जिससे किसी तनाव में न आएं। बच्चों को भी समझना होगा कि हाईटेक दुनिया में शॉटकट से सफलता हासिल नहीं की जा सकती है। मेहनत ही सफलता की सफल कुंजी है।
[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]