उत्तर प्रदेश में सांविधानिक संकट है और क्यों न यहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए। सत्तारूढ़ दल पर की गई कोर्ट की यह टिप्पणी गंभीर है। राज्य सरकार विरासत के अपने नितांत पारिवारिक झगड़े सार्वजनिक करती रही, लिहाजा उसके निश्चिंत अधिकारी चैन की बंसी बजाते रहे। मुख्यमंत्री और उनके अधिकारी सुशासन के अब चाहे जितने भी दावे करें या प्रदेश की तस्वीर उजली दिखाने का भरसक प्रयत्न कर लें, हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की यह टिप्पणी इतिहास में दर्ज होगी। अदालत का यह कहना बड़ी बात है कि डेंगू नियंत्रण के लिए अभी तक कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे थे, वास्तव में तो स्वास्थ्य विभाग ने बीमारी थामने का कारगर उपाय किया ही नहीं। डेंगू से हुई मौतों के लिए प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन लगाने की बात तक कह डाली। इस सिलसिले में २७ अक्टूबर की तारीख महत्वपूर्ण होगी क्योंकि इस दिन मुख्य सचिव को अदालत में हाजिर होकर शासन का पक्ष रखना होगा। जाहिर है यह काम उन्हें सावधानी पूर्वक करना होगा क्योंकि अदालत अभी तक पेश किए हलफनामों से असंतुष्ट है। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का आलम यह है कि केंद्र सरकार द्वारा डेंगू की रोकथाम के लिए दिए गए धन का उपयोग तक नहीं किया जा सका। वह भी तब जबकि सात अक्टूबर को अदालत ने इस धन के उपयोग का विवरण मांगा था। अदालत ने वे कारण भी जानने चाहे थे जिनके कारण यह पैसा खर्च नहीं किया जा सका।पिछले दिनों पहले परिवार कल्याण विभाग को और फिर स्वास्थ्य विभाग को भी मंत्री मिल गया लेकिन परिवार कल्याण मंत्री पहले विदेश से मच्छरदानियां मंगाते रहे और जिसके लिए उन्होंने कई चिट्ठियां लिख डालीं। मच्छरदानियां तो नहीं आयीं, डेंगू सैकड़ों को लील गया। इस पर उन्होंने नगर विकास विभाग को जिम्मेदार ठहराकर अपना पल्ला झाड़ लिया। उधर स्वास्थ्य मंत्री ने पिछले दिनों एक बैठक में कह दिया कि अधिकारी केंद्र को चिट्ठी लिखकर डेंगू के टीके की खोज कराएं। हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार में डेंगू का प्रकोप उत्तर प्रदेश से काफी कम है। झारखंड व छत्तीसगढ़ जैसे राज्य डेंगू पर नियंत्रण रखने में सफल हुए हैं जबकि लखनऊ में सिर्फ एक मौत दिखा रहा स्वास्थ्य विभाग हाईकोर्ट की सख्ती के बाद २४ घंटे के भीतर नौ मौतों पर पहुंच गया। डेंगू प्रकरण में अदालत का आदेश उत्तर प्रदेश के सरकारी कामकाज पर बड़ा सवाल है और जिसे हल करने के लिए राजनीतिक नेतृत्व को पहल करनी होगी।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]