नई सरकार ने हर मंच पर कहा है कि वह कुछ ऐसा नया करके दिखाएगी जो पूर्ववर्ती सरकार नहीं कर पाई। लोक लुभावन नारों और योजनाओं के बजाय वह ठोस और परिणामोन्मुखी कार्यशैली के आधार पर अपने को अलग साबित करने का प्रयास करेगी। तमाम कवायद के बीच कहीं न कहीं यह अहसास होने लगता है कि पुरानी परंपराओं से वह अपने को अलग नहीं रखना चाहती। इसके लिए मुख्यमंत्री की रेवाड़ी में की गई घोषणा का उदाहरण दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में तीन हजार अवैध कालोनियों को नियमित किया जाएगा।

साथ ही शर्त भी जोड़ी कि तय मानदंड पूरे करने वाली कालोनियों को ही नियमितीकरण की योजना में शामिल किया जाएगा। सवाल उठता है कि जब मानक पूरे हैं तो कालोनी अवैध क्यों है? पिछली सरकार को भूमि संबंधी मामलों में सबसे अधिक घेरा गया था। इसी के साथ अवैध कालोनियों को नियमित करवाने के धंधे ने भी संगठित, नियोजित रूप ले लिया था।

नई सरकार तर्क दे रही है कि वह हर नागरिक को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाना चाहती है, यही दलील देकर ही पिछली सरकार बार-बार अवैध कालोनियों को नियमित करती रही। माना कि इससे अनेक लोगों को लाभ मिलेगा पर यह भी सोचा जाए कि अवैध कालोनी अस्तित्व में आ कैसे जाती हैं? वह रातों-रात तो बन नहीं सकती , निर्माण अवधि के दौरान प्रशासन को जानकारी क्यों नहीं मिलती? प्रॉपर्टी डीलर मकड़जाल बुनते हैं और नगर पालिका, परिषद से बिना नक्शे पास करवाए बने मकानों, कालोनियों में जब बड़ी संख्या में रिहायश हो जाती है तो लोग मूलभूत सुविधाएं मांगने मंत्रियों, विधायकों के पास पहुंचने लगते हैं।

वहां भी नहीं पूछा जाता कि अवैध निर्माण क्यों किया गया? वोट के लालच में उनको हर नेता कालोनी नियमित करवाने का आश्वासन देता है। फिर किसी बड़े आयोजन की भूमिका तैयार होती है और मुख्यमंत्री या वरिष्ठ मंत्री आकर कालोनी नियमित करने की घोषणा कर जाते हैं। हर आम और खास को पता है कि अवैध कालोनी की परंपरा भूमाफिया की देन है, उसे सियासी नेताओं की शह भी मिलती है। अवैध को वैधता का आवरण पहनाने से पहले सरकार को इस गंभीर पहलू पर मंथन करना चाहिए, शासन-प्रशासन के स्तर पर सुनिश्चित किया जाए कि भूमाफिया के मंसूबे पूरे न हों, अवैध निर्माण की छूट किसी स्तर पर न हो। तेजी से विकसित हो रहे राज्य में अवैध कालोनियों को प्रोत्साहन नहीं दिया जाना चाहिए। किसी गलत परंपरा को आगे बढ़ाने से सरकार को बचना चाहिए।

(स्थानीय संपादकीय हरियाणा)