स्वच्छता की कसौटी पर प्रदेश के शहरों को कसने की तैयारी शुरू हो गई है। केंद्रीय स्वच्छता टीमें अगले माह से पड़ताल शुरू कर देंगी। पिछली रैंकिंग में प्रदेश के शहरों की स्थिति ज्यादा बेहतर नहीं हुई थी। हिसार व रोहतक जैसे बड़े शहरों की रैंकिंग काफी बुरी रही थी। करनाल व फरीदाबाद ही शीर्ष 100 में जगह बना पाए थे। अफसरों ने रैंकिंग सुधारने के लिए कई कदम उठाने की घोषणा की थी। कुछ प्रयास हुए भी और प्रदेश को खुले में शौच मुक्त भी घोषित कर दिया गया, लेकिन सैकड़ों शौचालय बनाने का कार्य अभी फाइलों में ही अटका है। ठोस कचरा प्रबंधन के प्रोजेक्ट पर रिपोर्ट तैयार है लेकिन ज्यादातर प्रोजेक्ट फाइलों से बाहर नहीं आ पाए हैं। ऐसे में रैंकिंग में सुधार होगा ऐसा दावा किया नहीं जा सकता है। पिछली बार 500 शहरों में मुकाबला हुआ था। इस बार देश के 4000 से अधिक शहर स्वच्छता की दावेदारी पेश करेंगे। इसके लिए सरकारी अमला अभी तैयार नहीं दिख रहा है। अधिकारी सरकार के सामने स्पष्ट रिपोर्ट नहीं रख रहे हैं। ठोस कचरा प्रबंधन प्लांट शुरू होने से पूर्व आवश्यक है कि कचरे के संग्रहण एवं उससे संबंधित अन्य चुनौतियों को दूर कर लिया जाए। यह भी आवश्यक है कि अलग-अलग तरह के कचरे का संग्रहण भी अलग-अलग हो। यह कार्य निगमों को अपने स्तर पर शुरू करवा देना चाहिए था। अगर यह कार्य पहले ही शुरू हो जाता तो कचरे से छोटे पैमाने पर खाद बनाने का कार्य शुरू किया जा सकता था। उम्मीद करें कि टीम के दौरे से पहले अधिकारी चेतेंगे और लंबित कार्यों को जल्द सिरे चढ़ाएंगे।

[ स्थानीय संपादकीय: हरियाणा ]