प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर विवाद थमता नहीं दिख रहा। पहले मामला हाईकोर्ट में पहुंचा और जब सभी बाधाओं को पार करते हुए नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई तो अब गड़बड़ी के आरोप लग रहे हैं। इसे लेकर पिछले चार दिनों से पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में आंदोलन हो रहा है। सड़क जाम कर विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है। कोर्ट में मुकदमा भी किया गया है। अनशन भी जारी है। राज्य सरकार विरोध-प्रदर्शन के खिलाफ सख्त है। शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी का कहना है कि विरोधी दलों के उकसाने पर विरोध-प्रदर्शन हो रहा है। इससे निपटने के लिए सख्ती बरती जा सकती है। यहां सवाल यह उठ रहा है कि अगर नियुक्ति में धांधली नहीं हो रही है तो आरोप क्यों लग रहे हैं? क्यों विरोध-प्रदर्शन हो रहा है और हाईकोर्ट में मुकदमा किया गया है? प्राथमिक शिक्षा पर्षद का कहना है कि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो चुकी है लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है, ये भी स्पष्ट हो रहा है। यही वजह है कि जिन्हें नौकरी मिल गई, वे तो खुश हैं लेकिन जिन्हें नहीं मिली, वे सड़क पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले तीन दिनों से विरोध-प्रदर्शन हो रहा है। शुक्रवार को दक्षिण 24 परगना, पश्चिम मेदिनीपुर, बर्धमान व उत्तर 24 परगना जिलों में विरोध-प्रदर्शन व सड़क जाम किया गया। यहां तक कि सॉल्टलेक में पर्षद के दफ्तर के निकट भी प्रदर्शन हुआ। विरोध-प्रदर्शन करने वाले युवक-युवतियों का कहना है कि परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बावजूद आरक्षित सीट बनाकर अन्य लोगों की नियुक्ति कराई जा रही है। राज्य में 42 हजार प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। इस महीने की शुरुआत में प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति परीक्षा के नतीजे घोषित हुए हैं। इसके बाद एसएमएस के माध्यम से उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को नियुक्ति के संदेश भेजे जा रहे हैं। विरोधी दल माकपा, कांग्रेस और भाजपा भी नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल उठा रही हैं। उनका आरोप है कि तृणमूल से जुड़े लोगों को तरजीह दी जा रही है। यही नहीं, रुपये लेकर भी परीक्षा उत्तीर्ण करने से लेकर नियुक्ति तक कराई जा रही है। नियुक्ति में धांधली को लेकर एक मामला हाईकोर्ट में भी लंबित है। राज्य सरकार को चाहिए कि तत्काल प्रभाव से पारदर्शी तरीके से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कराए ताकि कोई मेधावी नौकरी से वंचित न रह जाए।
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हाइलाइटर::: यहां सवाल यह उठ रहा है कि अगर नियुक्ति में धांधली नहीं हो रही है तो आरोप क्यों लग रहे हैं? क्यों विरोध-प्रदर्शन हो रहा है और हाईकोर्ट में मुकदमा किया गया है?

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]