मुख्यमंत्री रघुवर दास ने वर्ष 2018 तक हर घर में बिजली पहुंचाने के लक्ष्य को हासिल करने के संकल्प को एक बार फिर दोहराया है। सीएम ने इस बाबत अफसरों के साथ-साथ बिजली के ठेकेदारों को भी कड़े निर्देश दिए हैं। लक्ष्य हासिल करने के लिए मार्च 2018 तक 112 बिजली सब स्टेशन का निर्माण कार्य पूरा कराने का टास्क ऊर्जा विभाग को सौंपा गया है। बिजली रघुवर सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर है और पिछले ढाई सालों के दौरान इसमें काफी सुधार भी हुआ है। गत 30 माह में सात लाख घरों तक बिजली पहुंची है, जो कि बड़ी उपलब्धि है।
हालांकि बिजली को लेकर सरकार के दावों और हकीकत में अभी भी बड़ा फासला है। शहरी क्षेत्रों में तो सुधार देखने को मिलता है लेकिन ग्रामीण विद्युतीकरण की स्थिति में अभी भी कोई खास सुधार नहीं आया है। सुदूर ग्रामीण इलाके अभी भी विकास से कोसो दूर हैं। यहां यह भी स्पष्ट कर दें कि गांवों में सिर्फ बिजली पहुंचाने का टास्क पूरा किया जा रहा है। पूर्व में ग्रामीण क्षेत्रों में काफी कम क्षमता के ट्रांसफार्मर लगाए गए थे, जो दम तोड़ चुके हैं। आवश्यकता ऐसी प्रवृत्तियों को समाप्त करने की है क्योंकि लक्ष्य सिर्फ गांवों में बिजली के तार पहुंचाने का नहीं है बल्कि ग्रामीणों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति करने का है। यदि अगले डेढ़ बरस में 23 लाख बचे हुए ग्रामीण परिवारों तक बिजली पहुंचानी है तो अनियमितता बरतने वाले अफसरों, बिजली कर्मियों और संबंधित एजेंसियों पर नकेल कसनी होगी। मुख्यमंत्री रघुवर दास का उजाला दिवस मनाने का निर्णय भी सराहनीय है। उन्होंने कहा है कि जिस दिन जिस गांव में भी बिजली पहुंचे वहां उजाला दिवस मनाया जाए। यह इसलिए भी आवश्यक है कि सुदूर इलाकों में बिजली के दर्शन नहीं होते। भौगोलिक परिस्थितियां भी इसके लिए जिम्मेवार हैं। ऐसे क्षेत्रों को सौर ऊर्जा से विद्युतीकृत किया जा सकता है। झारखंड में ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोत पर ज्यादा काम नहीं हुआ है। फिलहाल सौर ऊर्जा के क्षेत्र में प्रयास तेज हुए हैं। योजना बड़े पैमाने पर सरकारी कार्यालयों में सौर ऊर्जा प्लांट अधिष्ठापित करने की है। दरअसल ग्र्रामीण विद्युतीकरण के कार्य में बड़े पैमाने पर हुई अनियमितता से राज्य उबर नहीं पाया है। कोशिश इस स्तर पर हो कि निर्धारित समय सीमा के भीतर कामकाज पूरा किया जाए ताकि झारखंड को पूर्ण विद्युतीकृत राज्यों की श्रेणी में खड़ा होने का गौरव प्राप्त हो।
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हाइलाइटर
डेढ़ बरस में 23 लाख बचे हुए ग्रामीण परिवारों तक बिजली पहुंचानी है तो अनियमितता बरतने वाले अफसरों और एजेंसियों पर नकेल कसनी होगी।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]