श्री बाबा अमरनाथ की शुरू हो रही वार्षिक यात्रा के लिए सरकार ने बेशक अपनी ओर से सभी प्रबंध किए हैं। मगर यात्र में जाने वाले श्रद्धालुओं को चाहिए कि वे अपने स्वास्थ्य के साथ समझौता न करें। विगत दिवस श्राइन बोर्ड के चेयरमैन और राज्यपाल एनएन वोहरा ने भी पूरे यात्रा मार्ग व भवन में अन्य सुविधाओं के साथ-साथ स्वास्थ्य सुविधाओं की भी समीक्षा की। यात्रा में हृदय घात से हर साल कई श्रद्धालुओं की मौत हो जाती है। यात्रा शुरू होने से पहले ही समय-समय पर श्री बाबा अमरनाथ श्राइन बोर्ड एडवाइजरी भी जारी करता है लेकिन श्रद्धालु इसका अनुसरण नहीं करते।

यह सर्वविदित है कि श्री बाबा अमरनाथ का समूचा यात्र मार्ग दुर्गम है जहां पर थोड़ा सा चलने पर भी कई बार श्रद्धालुओं का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। कुछ वर्ष में बालटाल और पहलगाम दोनों ही मार्गो पर यात्र करने वाले कई श्रद्धालुओं को हृदय घात के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी थी। अच्छी बात यह है कि इसके बाद सरकार गंभीर हुई और उसने यात्र के लिए स्वास्थ्य प्रमाणपत्र अनिवार्य कर दिया। इसका असर भी देखने को मिला और पिछले साल यात्र मार्ग पर हृदय घात से जान गंवाने वाले शिवभक्तों की संख्या में कमी आई।

हजारों श्रद्धालुओं को यहां के मौसम और भौगोलिक स्थितियों के बारे में जानकारी नहीं है। समुद्र तल से कई हजार फुट ऊंचाई पर स्थित होने के कारण बाबा अमरनाथ के भवन से कई किलोमीटर पहले ही ऑक्सीजन की कमी महसूस होना शुरू हो जाती है। दुर्गम मार्ग पर हर प्रकार की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाना संभव नहीं है। कई बार चिकित्सा केंद्रों में ऑक्सीजन की व्यवस्था कम पड़ जाती है। श्रद्धालुओं को यात्र पर जाने के लिए पहले पूरी तैयारी करनी चाहिए। सांस संबंधी समस्या है तो यात्र में जाने से परहेज करें। श्री बाबा अमरनाथ श्रइन बोर्ड की ओर से जारी यात्र संबंधी पूरी जानकारी हासिल करें ताकि सभी की यात्र मंगलमय हो।

   [ स्थानीय संपादकीय :जम्मू-कश्मीर]