आरडब्ल्यूए व स्थानीय निवासियों को चाहिए कि वे पार्क में अतिक्रमण या किसी अन्य समस्या की फौरन शिकायत करें और उसका निराकरण कराकर ही दम लें
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दिल्ली विकास प्राधिकरण के पार्कों की देखरेख व प्रबंधन में स्थानीय आरडब्ल्यूए के लोगों को शामिल करने का उपराज्यपाल का निर्देश सराहनीय है। इससे ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि इन पार्कों का रखरखाव और बेहतर ढंग से हो सकेगा। डीडीए के कई पार्क बदहाल स्थिति में हैं। उनका प्रबंधन ठीक ढंग से नहीं हो पा रहा है। कहीं पार्क का इस्तेमाल वाहनों की पार्किंग के लिए हो रहा है तो कहीं पार्कों में कूड़ा डाला जा रहा है। पार्कों में सुविधाओं का अभाव तो है ही, ये नशेडिय़ों और जुआडिय़ों के अड्डे भी बनते जा रहे हैं। कई पार्कों में अतिक्रमण भी किया गया है। ऐसे में ये पार्क अपना उद्देश्य पूरा नहीं कर पा रहे हैं। डीडीए के कई पार्क न तो बच्चों के खेलने के लिए उपयोगी साबित हो रहे हैं और न ही इन पार्कों में लोग सुबह-शाम सैर करने या घूमने ही आते हैं। इन पार्कों की बदहाली पर संबंधित अधिकारियों का उदासीन रवैया समस्या को और बढ़ाने का काम कर रहा है।
पार्क किसी भी क्षेत्र में हरियाली बढ़ाने का एक माध्यम होने के साथ ही आसपास के लोगों को सैर करने या खेलने-कूदने का स्थान उपलब्ध कराते हैं। राजधानी में बहुमंजिला इमारतों के बीच पार्कों के महत्व को आसानी से समझा जा सकता है। पार्कों के प्रबंधन में आरडब्ल्यूए को शामिल करने के उपराज्यपाल के आदेश से इस प्रक्रिया में स्थानीय लोगों की सहभागिता बढ़ेगी। इससे जहां समस्याओं को प्रभावी ढंग से उठाया जा सकेगा, वहीं उनका निराकरण कराने में भी पहले के मुकाबले अधिक सहूलियतें होंगी। पार्कों के बेहतर रखरखाव के साथ ही वहां शौचालय, कूड़ेदान व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराना और सुरक्षा बढ़ाया जाना बहुत जरूरी है। जिन पार्कों में अतिक्रमण किया गया है, उन्हें तत्काल अतिक्रमणमुक्त किया जाना चाहिए। आरडब्ल्यूए व स्थानीय निवासियों को चाहिए कि वे उनके इस्तेमाल के लिए बनाए गए पार्क में किसी भी तरह के अतिक्रमण या किसी अन्य समस्या की फौरन शिकायत करें और उसका निराकरण कराकर ही दम लें। पार्क जिस उद्देश्य के लिए बनाए गए हैं, वे उन उद्देश्यों को पूरा करें इसके लिए गंभीर प्रयास की आवश्यकता है।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]