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लोकायुक्त और तबादला विधेयक सदन में रख सरकार ने आगामी पांच साल के लिए अपनी दिशा स्पष्ट कर दी है। निसंदेह इससे पारदर्शिता को बल मिलेगा।
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उत्तराखंड में नई सरकार ने कार्यभार संभालने के बाद अगले पांच साल के लिए अपनी मंशा और दिशा स्पष्ट कर दी है। सदन में पेश लोकायुक्त और तबादला विधेयक इसकी एक बानगी हैं। सरकार के इस कदम की सराहना की जानी चाहिए कि जिस मकसद से जनता ने उन्हें भारी बहुमत दिया, वे उसे पूरा करने की ओर बढऩे लगे हैं। मुख्यमंत्री और मंत्रियों को भी लोकायुक्त के दायरे में लाकर सरकार ने लोगों के भरोसे को जगाने का प्रयास किया है। उत्तराखंड में जिस तरह से भ्रष्टाचार जड़ें जमा चुका है, उसमें ऐसे किसी कदम की सख्त जरूरत महसूस की जा रही थी। एक बाद एक घोटाले की इंतेहा रुद्रपुर का एनएच घोटाला है। राज्य सरकार ने सीबीआइ जांच की संस्तुति कर संकेत दे दिए हैं कि भ्रष्टाचार पर उसकी नीति सख्त रहेगी। लोकायुक्त एक्ट के बन जाने के बाद सरकार की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि इसका सूचना के अधिकार की तरह दुरुपयोग न हो। यह संदेश देना भी जरूरी है कि एक्ट का उपयोग किसी को परेशान करना नहीं वरन राज्य का हित है। पारदर्शिता और स्वच्छ प्रशासन सरकार की प्राथमिकता है तो यह कार्यप्रणाली में दिखायी भी देनी चाहिए। सरकार का दूसरा बड़ा फैसला तबादला विधेयक है। निसंदेह 16 साल के इस किशोर प्रदेश में तबादलों का खेल 'उद्योगÓ का रूप ले चुका था। महकमा चाहे शिक्षा का हो अथवा स्वास्थ्य का या अन्य कोई। आलम यह है कि रसूखदार और पहुंच वाले अफसर व मुलाजिम वर्षों से सुविधाजनक स्थलों पर जमे हुए हैं। सियासी हस्तक्षेप के कारण कोई भी इन्हें हटाने की हिमाकत नहीं कर पाता। स्थानांतरण विधेयक लागू होने के बाद राज्य को इससे सर्वाधिक लाभ मिल सकेगा। शिक्षकों और चिकित्सकों के लिए तरस रहे पहाड़ों को शायद अब राहत मिल जाए। राहत उन अधिकारियों और कर्मचारियों को भी मिलेगी जो पहुंच अथवा सिफारिश न होने के कारण वर्षों से दुर्गम क्षेत्रों से नीचे नहीं उतर पाए। एक्ट में की गई तीन तरह व्यवस्थाओं से तबादलों में पारदर्शिता रहेगी। सुगम और दुर्गम क्षेत्रों में निर्धारित समय के बाद खुद-ब-खुद ट्रांसफर हो जाएंगे। इतना अवश्य है कि अनुरोध के आधार पर किए जा रहे तबादलों में पारदर्शिता का पूरा ध्यान रखा जाए। उम्मीद की जानी चाहिए कि सत्ता में हुए बदलाव का असर कार्य संस्कृति में भी परिवर्तन के तौर पर दिखेगा। तभी सरकार जन अपेक्षाओं पर खरी उतर पाएगी।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तराखंड ]