दिल्ली की सफाई व्यवस्था सुधारने के लिए हर स्तर पर काम करने की जरूरत है। संसाधन की कमी दूर करने के साथ ही कर्मचारियों की कार्य प्रणाली पर विशेष ध्यान देना होगा। इस दिशा में उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने कर्मचारियों पर सख्ती शुरू कर दी है। निगम ने सफाई में कोताही बरतने वाले निरीक्षक सहित छह कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। यह सच्चाई है कि दिल्ली के कई इलाकों में सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है। न तो नियमित कूड़ा उठाया जाता है और न ही नालों की सफाई होती है। इससे मच्छरजनित बीमारियां फैलती हैं। यदि यही स्थिति रही तो मानसून आने पर परेशानी और बढ़ जाएगी। जलभराव के अलावा डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया के प्रकोप का सामना करना पड़ेगा। यही कारण है कि दिल्ली की बदहाल सफाई व्यवस्था को लेकर हाई कोर्ट ने भी नाराजगी जताई है। अदालत ने दिल्ली सरकार और नगर निगमों को मानसून के आने से पहले सभी नालों की सफाई करने का निर्देश दिया है।
तीनों नगर निगमों में जीत हासिल करने के बाद भाजपा ने भी दिल्ली को कूड़ा मुक्त करने का वादा किया है। इस वादे को पूरा करने के लिए निगमों की कार्य प्रणाली में बदलाव की जरूरत है। सफाई का एक्शन प्लान बनाकर उस पर सख्ती से अमल करना होगा। इसके लिए कर्मचारियों के साथ ही प्रत्येक स्तर पर अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। यदि किसी के काम में कोताही नजर आए तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो। पार्षदों व अधिकारियों को भी यह सोचना चाहिए कि यह सिर्फ सरकारी काम नहीं है बल्कि सीधे जनता के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ मामला है। दिल्ली को गंदगी से मुक्त करने के लिए दिल्ली सरकार, नगर निगमों, अन्य सिविक एजेंसियों, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए), स्वयंसेवी संस्थाओं और आम लोगों को मिलकर काम करना होगा। अपने आस-पास सफाई रखनी चाहिए। इधर-उधर कूड़ा फेंकने के बजाय कूड़ेदान में ही कूड़ा डालना चाहिए। यदि सफाई व्यवस्था में कहीं कोताही नजर आए तो इसकी शिकायत संबंधित अधिकारी से करनी चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]