दुख्तरान-ए-मिल्लत की अध्यक्ष आसिया अंद्राबी पर देशद्रोह का मुकदमा चाहे देर से ही दर्ज हुआ हो, लेकिन यह सही कदम है। नि:संदेह इससे जम्मू-कश्मीर में रह कर पाकिस्तान का समर्थन करने वालों के बीच कड़ा संदेश जाएगा। यह सही है कि कश्मीर में कई बार पाकिस्तान के झंडे फहराए जाते हैं और उन्हें अक्सर नजरअंदाज भी कर दिया जाता है, लेकिन इससे देशद्रोहियों के हौसले बढ़ते जा रहे हैं। होना तो यह चाहिए था कि पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर जब आसिया अंद्राबी ने पाकिस्तान का झंडा फहराया और टेलीफोन से पाकिस्तान में रैली को संबोधित किया तो उसके खिलाफ मामला दर्ज कर उसे हिरासत में ले लिया जाता, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और अभी भी केवल मामला ही दर्ज किया गया है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले मार्च महीने में भी आसिया ने इसी तरह पाकिस्तान का झंडा फहराया था और पुलिस द्वारा मामला दर्ज करने पर अपने आप को भारतीय होने से ही मना कर दिया था। बावजूद इसके उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं होने से देशभर में गलत संदेश जाता है। कश्मीर में कई सैनिकों की शहादत के बाद पहले से हालात में काफी बदलाव आया है। देश-विदेश में इसका असर भी देखने को मिला है। आतंकवाद से पूरी तरह बर्बाद हो चुका पर्यटन फिर से पटरी पर आने लगा है। बॉलीवुड तक ने कश्मीर में दस्तक दी और कई फिल्मों की शूटिंग यहां हुई है। अब इस ओर लगातार उनका रुख हो रहा है, लेकिन अलगाववादियों को यह रास नहीं आ रहा है। उनकी पूरी कोशिश है कि वह कश्मीर के साथ-साथ जम्मू संभाग के माहौल को भी बिगाड़ें। यही कारण है कि एक ओर जहां आए दिन संघर्ष विराम उल्लंघन के मामले और उनकी आड़ में घुसपैठ के प्रयासों ने शांतिपूर्ण माहौल को खराब करने का प्रयास किया है, वहीं सिर्फ जम्मू संभाग में ही दो बार आतंकियों ने ऊधमपुर जिले को निशाना बनाया। इससे राज्य भर के लोगों विशेषकर सीमांत क्षेत्रों के लोगों की मुसीबतें बढ़ गई हैं। गोलाबारी के कारण हर समय उनके सिर पर मौत मंडरा रही है। राज्य सरकार को चाहिए कि अलगाववादियों के इन मंसूबों को विफल बनाने के लिए कोई सख्त कार्रवाई करे ताकि कोई भी भारत के विरोध में फिर से इस प्रकार का दुस्साहस न कर सके।

[स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर]